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 Bihar Board Class10th History Notes In Hindi

हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन 

दक्षिण पूर्व एशिया में हिन्द - चीन देशों से अभिप्रायः तत्कालीन समय में लगभग 3 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले उस प्रायद्वीपीय क्षेत्र से है जिसमें आज के वियतनाम ,लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते है।

लाओस - कम्बोडिया पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव था,चौथी शताब्दी में कम्बुज राज्य की स्थापना हुई थी जहाँ का शासक भारतवंशीय था।

12वीं शताब्दी में राज सूर्यवर्मा द्वितीय ने कम्बोडिया में अंकोरवाट मंदिर का निर्माण करवाया था।

कुछ देशों पर चीन एवं कुछ पर हिन्दुस्तान के सांस्कृतिक प्रभाव के कारण ही यह हिन्द-चीन के नाम से जाना गया।

1931 ई० तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया।

1498 में वास्कोडिगामा ने भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूंढ निकाला तब पुर्तगाली ही पहले व्यापारी थे। उसके बाद स्पेन ,डच ,इंग्लैंड और फ्रांसीसियों का आगमन हुआ।

*एकतरफा अनुबंध व्यवस्था :- एकतरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। वंहा मजदूरों को कोई अधिकार नहीं थी ,जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त थे।

रबर बागानों के खेतों और खानों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था।

हिन्द - चीन में बसने वाले फ़्रांसिसी ,कोलोन कहे जाते थे।

1903 ई० में फान-बोई-चाऊ ने 'दुई तान होई' नामक एक क्रन्तिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग दें थे।

फान-बोई-चाऊ ने "द हिस्ट्री ऑफ़ द लॉस ऑफ़ वियतनाम " लिखी।

1917 ई० में "न्यूगन आई क्वोक "(हो-ची-मिन्ह) नामक एक वियतनामी छात्र ने पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया।

हो-ची-मिन्ह ने साम्यवादी से प्रेरित होकर 1925 में "वियतनामी क्रन्तिकारी दल " का गठन किया।

जोंगुएन आई ने अनामी दल की स्थापना की थी,और ये आंतकी विचारों वाली पार्टी थी।

10th All Chapters History Notes In Hindi

* हो-ची-मिन्ह

1917 ई० में हो-ची-मिन्ह ( एक वियतनामी छात्र) ने पेरिस में सम्वादियों का एक गुट बनाया। बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 ई० में वियतनामी क्रन्तिकारी दल का गठन किया।अंततः 1930 ई० में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर "वियतनाम कांग सान देंग "अर्थात कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी। 1954 ई० में जेनेवा समझौता के तहत वियतनाम को दो भागों में बाँट दिया गया। उत्तरी वियतनाम में हो-ची-मिन्ह की सरकार बनी।

*बाओदायी :- बाओदायी पूर्व में अन्नान का शासक था ,बाद में फ़्रांस के समर्थन से दक्षिणी वियतनाम का शासक बना।

6 मार्च 1946 को फ्रांस एवं वियतनाम के बीच हनोई समझौता हुआ।

मई 1954 में जेनेवा में हिन्द-चीन समस्या पर वार्ता हेतु सम्मेलन बुलाया गया,जिसे जेनेवा समझौता कहा जाता है।

*होआ-होआ आन्दोलन

होआ-होआ एक बौद्धिष्ट धार्मिक क्रन्तिकारी आन्दोलन था,जो 1939 में शुरू हुआ था जिसके नेता हुईंह फू-सो था। ये क्रन्तिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे ,जिसमे आत्मदाह तक भी शामिल होता था।

कम्बोडिया 1954 ई० में स्वतंत्र राज्य बनने के बाद में संवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार कर राजकुमार नरोत्तम सिंहानुक को शासक माना गया।

1969 ई० में अमेरिका ने कम्बोडिया सीमा क्षेत्र में जहर की वर्षा हवाई जहाज से करवा दी,जिससे लगभग 40 हजार एकड़ भूमि की रबर की फसल नष्ट हो गयी।

9 अक्टूबर 1970 को कम्बोडिया को गणराज्य घोषित किया गया।

प्रसिद्ध दार्शनिक रसेल ने एक अदालत लगा कर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया।

*नापाम और एजेन्ट ऑरेंज क्या था ?

अमेरिका ने कम्बोडिया में जहरीला एवं वियतनाम में नापाम बम तथा एजेन्ट ऑरेंज रासायनिक हथियारों का प्रयोग संघर्ष के दौरान किया जो अत्यंत घातक साबित हुआ। अगस्त 1964 में अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में उसने खतरनाक हथियारों जैसे- नापाम बम , एजेन्ट ऑरेंज तथा फॉस्फोरस बम का प्रयोग किया।

*हो-ची-मिन्ह मार्ग :- हो - ची - मिन्ह मार्ग हनोई से चलकर लाओस ,कम्बोडिया के सीमा क्षेत्र से गुजरता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था,जिससे कच्ची-पक्की सड़कें निकलकर जुड़ी थी। अमेरिका सैंकड़ो बार उसे क्षतिग्रस्त कर चूका था ,लेकिन वियतनामी उसे तुरंत मरम्मत कर लेते थे। इस मार्ग पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से अमेरिका लाओस कम्बोडिया पर आक्रमण कर दिया था परन्तु तीन तरफा संघर्ष में फंसकर उसे वापस होना पड़ा।

*नापाम बम :- नापाम बम में नापाम नामक एक कार्बनिक यौगिक होता है जो अग्नि बमों में गैसोलीन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता है जो त्वचा से चिपक जाता है और जलता रहता है।

*एजेन्ट ऑरेंज :- एजेन्ट ऑरेंज एक ऐसा जहर है जिससे पेड़ो की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती है एवं पेड़ मर जाता है ,जंगलों को ख़त्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसका नाम ऑरेंज पट्टियों वाले ड्रमों में रखे जाने के कारण पड़ा।

वियतनाम युद्ध में अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ-साथ खेतो तथा आबादी पर भी जमकर किया। उस क्षेत्र में इसका असर जन्मजात विकलांगता तथा कैंसर के रूप में आज भी देखा जा सकता है।

अमेरिका वियतनाम युद्ध में लगभग 9855 करोड़ डॉलर खर्च हुए। जिसमे सर्वाधिक खर्च अमेरिका का था।


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