New Post

Ex:-3 मानव नेत्र :वर्ण-विक्षेपण

मानव नेत्र :वर्ण-विक्षेपण 


human-eye-class-10th
* श्वेत पटल :-आखों की सबसे बाहरी परत को श्वेत पटल कहते है | 
➤यह अपारदर्शी तथा कठोर होता है | 
➤इसका रंग सफेद होता है | 
*कॉर्निया:-श्वेत पटल का जो अगला भाग उभरा होती है उसे कॉर्निया कहते है | 
➤कॉर्निया पारदर्शी होता है | 
➤प्रकाश की किरण सबसे पहले हमारे आँखों में कॉर्निया द्वारा ही प्रवेश करती है | 
*कॉरॉयड(Choroid):-मानव नेत्र  श्वेत पटल के बाद वाली परत को कॉरॉयड कहते है | 
➤इसका रंग गहरा भूरा होता है | 
➤कॉरॉयड आगे बढ़कर दो भागो में विभक्त हो जाती है | जिसका पिछला हिस्सा सिलियरी मांसपेशिया या पक्षमाभी मांसपेशिया कहलाती है | 
➤आगेवाली अपारदर्शी परत सिकुड़ने-फैलनेवाली डायफ्राम के रूप में रहती है जिसे ,परितारिका या आइरिस कहते है | 
*सिलियरी मांसपेशिया :-यह मुलायम होता है और यह दोनों तरफ से अपने बीच में नेत्र लेंस को लटकाए हुए रखता है | 
*आइरिस :-आइरिस संकुचन शील होता है |
➤आँसु में पाया जाने वाला हार्मोन एक्वियस हूयमर है |  
➤यह अपारदर्शी होता है | 
➤आइरिस का रंग भिन्न-भिन्न व्यक्तियो में इसका रंग काला,भूरा तथा नीला होता है | 
➤आइरिस अधिक प्रकाश में सिकुड़ जाता है और कम प्रकाश में फ़ैल जाता है | 
*पुतली :-आइरिस के मध्य एक छिद्र होता है और इस छिद्र को पुतली कहा जाता है | 
➤आइरिस के सिकुड़ने या फैलने से पुतली का आकार घटती और बढ़ती है | 
➤प्रकाश का नियंत्रण पुतली करता है |
*समंजन क्षमता :-आंख की वैसी क्षमता जिससे नेत्र लेंस की फोकस दुरी अपने आप बदलती रहती है।
सामान्य आँख अनंत दुरी से 25 cm तक की वस्तुओ को स्पष्ट देख सकता है। 

*दृष्टि दोष तथा उनके निवारण
कभी-कभी सामान्य आँख दूर या निकत स्थित वस्तु को रेटिना पर न बना पाती है ऐसी दोष को दृष्टि दोष कहते है। 
दृष्टि दोष मुखयतः तीन प्रकार के होते है
 1. निकट- दृष्टि दोष / मायोपिया (Myopia )
 2. दूर -दृष्टि दोष / ह्यपरमेट्रोपीअ (Hypermetropia )
3. जरा- दृष्टि दोष प्रेस्ब्योपा (Presbyopia )
1. निकट दृष्टि दोष आँख की वैसी दोष जिसमे दूर स्थित वस्तु साफ दिखाई नहीं देती है तो वैसे दोष को निकट दृष्टि दोष कहते है।
* दोष के कारण
(a) नेत्र गोलक का लम्बा हो जाना अर्थात नेत्र लेंस और रेटिना के बिच की दुरी का बढ़ जाना
(b) नेत्र लेंस का आवश्यकता से अधिक मोटो हो जाना जिससे उसकी फोकस दुरी का काम हो जाना
*उपचार
i.इसमें अपसारी (अवतल लेंस )का उपयोग किया जाता है.
                                                                  
 2. दूर -दृष्टि दोष आँख की वैसी दोष जिसमे निकट की वस्तु साफ दिखाई नहीं देती है तो उसे दूर दृष्टि दोष कहते है l
*दोष के कारण
(a)नेत्र गोलक का छोटा हो जाना अर्थात नेत्र लेंस और रेटिना के बिच की दुरी का काम हो जाना l
(b) नेत्र लेंस का आवश्य्कता से अधिक पतला हो जाना जिससे फोकस दुरी बढ़ जाना
*उपचार
i.इसमें अभिसारी (उत्तल लेंस )का उपयोग  है

3. जरा-दूरदर्शिता आँख की वैसी दोष जिसमें निकट तथा दूर स्थित वस्तु दोनों दिखाई न दे तो उसे जरा दूरदर्शिता कहते है l
यह दोष वृद्धवस्था में उत्पन्न होती है
इस दोष को दूर करने के लिए बाइफोकल लेंस का उपयोग किया जाता है 
* वायुमंडलीय अपवर्तन वायुमंडल में दिखने बाले विभिन्न प्रकार की घटना को वायुमंडलीय अपवर्तन कहते है।
निम्न घटनाएँ वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होती है। 
*तारे का टिमटिमाना तारे वायुमंडलिय अपवर्तन के कारण  टिमटिमाते है पृथ्वी  के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी  के पृष्ट पर पहुँचाने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता जाता है इसीलिए तारा कभी कम प्रकाश कभी अधिक प्रकाश देता हुआ मालूम पड़ता है अर्थात टिमटिमाता है
*सूर्येोदय तथा सूर्यास्त के समय आभसि समय
पृथ्वी के चारो तरफ वायुमंडल है वायुमंडल का घनत्व पृथ्वी की सतह पर अधिकतम है हम जैसे -जैसे उपर जाते है घनत्व घटता है और जब सूर्य की किरण निर्वात से वायुमंडल में प्रवेश करती है तो किरण अपवर्तित हो जाती है l और सूर्य क्षितिज पर होता है तो अपवर्तन के कारण किरणे निचे की ओर  मुड़  जाती है l अतः सूर्य अपनी वास्तविक ऊंचाई से अधिक ऊँचा दिखाई पड़ता है उसी तरह सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज से निचे चले जाने के कुछ समय बाद तक दिखाई देता है ऐसी कारण सूर्योदय तथा सूर्यास्त के बीच का समय लगभग 4 मिनट बढ़ जाता है। 
*प्रकाश का प्रकीर्णन जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है तो वायुमंडल में उपस्थित विभिन्न गैसों का अणु एवं परमाणु प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और पुनः प्रकाश को सभी दिशाओं में उत्सर्जित करता है जिस प्रक्रिया को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है
प्रकाश के प्रकीर्णन के बारे में रेल नामक वैज्ञानिक ने बताया की '' प्रकीर्णन प्रकाश की तीव्रता आपतित प्रकाश के तरंगदैर्य के चौथी घात  के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
                                           1/ λ4       
*प्रकाश का वर्ण विक्षेपण जब स्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारा जाता है तो यह  विभिन्न रंगो में विभक्त हो जाती तो इस घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते है।
*प्रिज्म :- काँच का कोई पट्ट जिसके दोनों समुख्य फलक समान्तर नहीं होती है प्रिज्म कहलाता है
यह हमेशा त्रिभुजाकार होती है
*वर्णपट (स्पेक्ट्रम ):-न्यूटन ने सर्वप्रथम प्रिज्म की सहायता से वर्णपट का उपयोग किये थे, जिस पट्टी पर विभिन्न रंगे विभक्त होती है उसे वर्णपट कहते है
स्पेक्ट्रम पर हमें सात प्रमुख रंग दिखाई पड़ते है (बैजनिहपीनाला)
बै :-बैगनी
ज :-जमुनी
नि :-नीला
ह :-हरा
पी :-पिला
ना :-नारंगी
ला :-लाल
वर्ण में लाल रंग की चाल (तरंगदैर्य )अधिक होती है जबकी इसकी अपवर्तनांक (प्रकीर्णन ) कम होती है
बैगनी रंग की चाल ,(तरंगदैर्य ) अधिक होती है जबकि इसकी अपवर्तनांक  ,प्रकीर्णन अधिक होती है
तरंगदैर्य का S.I मात्रक ऐंगस्ट्रम A० 
    1A० = 10-10 m  
   1nm =10-10 m
लाल रंग की तरंगदैर्य 6563 A० तथा बैगनी की 3969 A० होती है
* इंद्रधनुष :- वर्षा के पश्चात् आकाश में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल के सूक्ष्म कणो  में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष एक प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है जिसका निर्माण वायुमंडल में उपस्थित वर्षा के बूंदो द्वारा प्रकाश के अपवर्तन तथा पूर्ण आतंरिक परावर्तन के पश्चात विच्छेपित होने के फलस्वरूप निर्माण होता है।
FIG
* इंद्रधनुष बनने में मुख्य तीन भूमिका निभाती है
1 . प्रकाश का अपवर्तन
2. प्रकाश का पूर्ण आतंरिक परावर्तन
3. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण
*टिंडल प्रभाव कोलाइडी कणों  द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन की परिघटना  प्रदर्शित करने वाला प्रभाव टिंडल प्रभाव कहलाता है।
*आकाश का रंग नीला कियों दिखाई देती है ?
रेले के नियमानुसार हम कह सकते है की जिस रंग का तरंगदैर्य कम होती है उसकी प्रकीर्णन अधिक होती है पर हमारी आँख बैगनी की अपेक्षा नीले रंग के लिए अत्यधिक  प्रभावित होती है इस लिए आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ती है 
* अंतरिक्ष यात्री को आकाश कला दिखाई देता है क्यों ?
चूँकि अंतरिक्ष में वायुमंडल नई होते है इसीलिए प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है,और प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होने के कारण आकाश काला दिखाई देता है।
* बादल का रंग सफेद होता है क्यों?
चूँकि बदल जल के सूक्ष्म कणो द्वारा बनता है और ये सूक्ष्म आकार बाले बुँदे विभिनं  तरंगदैर्य  को सामान रूप से प्रकीर्णित करते है इसीलिए ये सभी रंग मिलकर स्वेद रंग के संवेदना देती है अतः बदल का रंग स्वेद होता है। 
* सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश का रंग लाल (रक्ताभ ) क्यों  प्रतीत होता है ?
क्योंकि लाल रंग का तरंगदैर्य अधिक होता है।  इसीलिए वह लाल रंग अधिक दिखाई पढता है।

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यह काफी दूर स्थित होता है।  इसी स्थिति सूर्य से निकलने वाली प्रकाश को हम तक पहुँचाने के लिए काफी लम्बी दुरी तय करनी पड़ती है जिसके कारण कम तरंगदैर्य वाले प्रकाश का अधिकांश भाग वायुमण्डल में उपस्थित कणो द्वारा प्रकीर्णित हो जाता है। और लाल रंग का ही हमरी आँखों तक पहुँच पता है।  जिसके कारण सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लाल दिखाई पड़ता है।     

10th human eye notes in hindi,10th ncert human eye notes in hindi,10th physics notes in hindi,bihar board 10th physics notes in hindi,10th physics notes

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ