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Ex :-2 श्वसन (Respiration)

 श्वसन(Respiration)

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BSEB Notes for class 10th Science Biology Respiration.
यह नोट्स Class 10th के विद्यार्थियों के लिए बनया गया है। इस नोट्स(Notes) में हम Respiration(श्वसन) के बारे में जानेंगे। इस नोट्स Notes  को सभी Topic को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जिससे  Class 10th के बच्चों को पढ़ाई करने में मदद मिल सके।   -----------------------------------------------------------------------------------------------------------
Respiration-class10-in-hindi-notes

श्वसन :-श्वसन वैसी प्रक्रिया है जिसमें बाह्र्य ऑक्सीजन को अंतग्रहण किया जाता है फलस्वरूप ऊर्जा की प्राप्ति होती है तथा Co2 गैस मुक्त किया जाता है |
श्वसन तंत्र :-श्वसन की प्रक्रिया में भाग लेने वाले अंगो को  सम्मलित रूप से श्वसन तंत्र कहते है |
श्वसन की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होती है |
1. वायवीय श्वसन (ऑक्सी श्वसन) Aerobic Respiration
2. अवायवीय श्वसन (अनॉक्सी श्वसन) Anaerobic Respiration
 वायवीय श्वसन (ऑक्सी श्वसन) :-
(i)  वायवीय श्वसन  वायु की उपस्थिति में होता है इसीलिए इसे ऑक्सी श्वसन कहते है |
(ii)  वायवीय श्वसन दो चरणों में पूरी होता है इसका पहला चरण कोशिकाद्रव्य,जबकि दूसरा चरण माइट्रोकॉन्ड्रिया में सम्पन्न होती है |
(iii)  वायवीय श्वसन में ग्लूकोज का पूर्णत: ऑक्सीजन होता है हमें ऊर्जा की प्राप्ति होती है तथा गैस वायुमंडल में मुक्त करते है  |
(iv) वायवीय श्वसन में ग्लुकोज के 1 अणु  विखंडन से ATP के 38 अणु प्राप्त होते है |
(v) वायवीय श्वसन में अधिक ऊर्जा की  होती है |
अवायवीय श्वसन (अनॉक्सी श्वसन) :-
(i) अवायवीय श्वसन वायु की अनुपस्थिति में होता है इसीलिए  अनॉक्सी श्वसन कहते है |
(ii) अवायवीय श्वसन का दोनों चरण कोशिकाद्रव्य में ही संपन्न होती है |
(iii) अवायवीय श्वसन में ग्लूकोज का आंशिक ऑक्सीजन होता है फलत: हमारे कोशिका में स्थित पाइरुवेट अम्ल को लैटिक अम्ल में बदल देता है |
(iv) अवायवीय श्वसन में ग्लूकोज के एक अणु के विखण्डन से ATP के 2 अणु प्राप्त होते है|
(v) अवायवीय श्वसन में कम ऊर्जा की प्राप्ति होती है |
Note :- हमारे मांसपेशियों में लैटिक अम्ल के जमाव से हमें थकान एवं दर्द महसूस होता है I
ATP का पूरा नाम :-  Adenosine Triphosphate
इसे ऊर्जा का दलाल या सिक्का कहा जाता है |
कोशिका ईंधन के रूप में ग्लूकोज कर्ज करता है |
ADP:- का पूरा नाम :- Adenosine Diphosphate
किण्वन :- किण्वन वैसी प्रक्रिया है जिससे ग्लूकोज या कार्बोहाइड्रेड  के बड़े अणु के एन्जाइम के द्वार छोटे - छोटे  अणुओ तोड़ दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को किण्वन कहते है |
जैसे :- दही का खट्टा होना |

विसरण :- विसरण की क्रिया द्रवों और गैसों में होती है I द्रव और गैस के अणु अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र से कम सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर विसरित होता है |
पेड़ - पौधे में श्वसन :- पेड़ - पौधे में भी श्वसन के प्रक्रिया होती है परन्तु जन्तुओ से इसमें भिन्न होती है I पौधा श्वसन की क्रिया रंध्रों, वात रंध्रों तथा मूल रोमो की सहायता से होती है |
वात रंध्र :- पेड़ - पौधे के पुराने तना में जो छोटे - छोटे छिद्र होते है उसे वात रंध्र कहते है |
मूल रोम :- पेड़ - पौधे के जड़ो में जो छोटे - छोटे रोये होते है उसे मूल रोम कहते है |

जन्तुओं में श्वसन :- जन्तुओं में श्वसन की प्रक्रिया तीन अंगो में की सहायता से होती है।
(i) श्वास नली या ट्रैकिया(Trachea)
(ii) गलफड़ा या गिल्स(Gills)
(iii) फेफड़ा या लीवर(Lungs)
(i) श्वास नली या ट्रैकिया :- ट्रैकिया द्वारा श्वसन की क्रिया कीट - पंतगों में होती है इनके ट्रैकिया शाखित होते है तथा उत्तकों से जुड़ा रहता है इनके रक्त में R.B.G नहीं पाया जाता है।
जैसे :- मधुमक्खी, कीट - पंतगों।
(ii) गलफड़ा या गिल्स :- गिल्स द्वारा की क्रिया जलीय प्राणी करता है इन्हें ऑक्सीजन की प्राप्ति जल से होती है। मछलियों का गिल्स।  गिल्स, कोष्ट या चाटी थैली में स्थित होता है। 
जैसे :- झींगा मछली या केकड़ा का बाहरी परत काइटिन के बने होते है।  जिसमें प्रोटीन  व्यापक पैमाने पर पाया जाता है।
(iii) फेफड़ा या लीवर :- फेफड़ा द्वारा श्वसन की क्रिया उच्च श्रेणी के जंतुओं में होता है। 
जैसे :- एवीज, उभयचर, रेपटाइल, मैमेलिया (स्तनधारी) I
मानव श्वसन तंत्र :- मानव का श्वसन की क्रिया में मुख्यत: तीन  भाग  होते है।
(i) नासिका छिद्र या स्वर यंत्र या लैरिकय
(ii) श्वास नली या ट्रैकिया
(iii) फेफड़ा
(i) नासिका छिद्र :- मनुष्य में मुखगुहा के ऊपर एक जोड़ी छिद्र पाया जाता है जिन्हें नासिका छिद्र कहते है।  दोनों नासिका छिद्र के बीच में एक पाट पाया जाता है  जब दोनों नासिका छिद्र पीछे की ओर एक गुहा में खुलता है।  जिसे नासा गुहा कहते है।  नासा गुहा पीछे ग्रसनी में खुलती है।
(ii) श्वास नली :- श्वसन मार्ग  का वह भाग जो ग्रसनी को श्वास नली से जोड़ती है उसे कंठ या स्वर यंत्र कहते है। इसका मुख्य कार्य ध्वनि उत्पादन है किन्तु इसके इसके अलावे खांसने, निगलने आदि में काम आता है।
इविग्लॉटिक्स :- स्वर यंत्र के प्रवेश पर द्वार पर एक बहुत पतला पति के समान कपाट होता है। जिसे इविग्लॉटिक्स कहते है। जब कुछ निगलना हो तो इविग्लॉटिक्स द्वार बंद कर देता है।  जिससे भोजन श्वास नली में प्रवेश नहीं कर पाता है यह क्रिया स्वत: होती है। 
श्वासोच्छवास :-श्वसन कि वैसी प्रक्रिया जिसमें बाह्य ऑक्सीजन को अन्त: ग्रहण किया जाता है तथा अंदर स्थित  Co2  को बाहर छोड़ने की प्रक्रिया श्वासोच्छवास कहते है।
(iii) फेफड़ा :-वक्षगुहा में एक जोड़ी शंक्वाकर फेफड़े होते है।  फेफड़े श्वास नली और ग्रसनी से जुड़े होते है तथा रचनात्मक दृष्टि कोण से स्पंजी होते है। प्रत्येक फेफड़े में लगभग 300  करोड़ एलविवोलाई  होते है।  फेफड़े के चारो और फ्लूरल मेब्रेन नामक झीली पायी जाती है।
दायाँ फेफड़ा लंबा तथा बायां फेफड़ा थोड़ा छोटा होता है दायां फेफड़ा तीन पसलियो के मध्य में होता है जबकि बायां फेफड़ा दो पसलियो के मध्य स्थित होता है।
                यदि ट्रैकिया में फूँक मारा जाए तो फेफड़े गुबारे के समान फूल जाते है।
डायफ्राम:- वक्षियगुहा का निचला फर्श एक पतले पट द्वारा बंद रहता है जिसे डायफ्राम कहते है।
मनुष्य में 12 जोड़ी पसलियाँ पायी जाती है।
ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन से अभिक्रिया कर के एक अस्थायी यौगिक ऑक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है।
                             Hb + O2    Hbo2
Co2  हीमोग्लोबिन से अभिक्रिया कर के एक अस्थाई यौगिक कार्बोऑक्सी हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है
                        Hb + Co2      HbCo2
मनुष्य एक मिनट में 16-17 बार सांस लेता है।
मनुष्य को एक श्वसन पूरा करने में 5 सेकण्ड का समय लगता है जिसमें से 2 सेकंड में अंदर तथा 3 सेकण्ड में बाहर निकलता है।


क्लोरोफिल के प्रकार :-
क्लोरोफिल a :-       C55 H72 O5 N4 Mg

क्लोरोफिल b :-       C55  H70  O6  N5  Mg

कैरोटीन    :-        C40  H56
जैन्योफिल  :-        C40  H56  O2

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