मानचित्र अध्ययन
⇒पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ
पायी जाती है ,जिनमें से शंक्वाकार पहाड़ी,
पठार ,V-आकार की घाटी ,जलप्रपात ,झील इत्यादि प्रमुख हैं।
*उच्चावच निरूपण :-विभन्न प्रकार की भू-आकृतियों का मानचित्र पर निरूपण ही उच्चावच निरूपण
कहलाता है।
या, मानचित्रण की वह विधि है जिसके द्वारा धरातल पर पायी जानेवाली
त्रिविमीय आकृति का समतल सतह पर प्रदर्शन किया जाता है।
*उच्चावच प्रदर्शन की विधियाँ
⇒उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए कुछ
प्रमुख विधियाँ
1. हैश्यूर विधि :-उच्चावच निरूपण के लिए इस विधि के अंतर्गत मानचित्र में छोटी ,महीन एवं खंडित रेखाएँ खींची जाती है। ये रेखाएँ ढाल की दिशा अथवा जल बहने की
दिशा में खींची जाती है।
➤अधिक या तीव्र ढाल वाले भागों के पास इन रेखाओं को मोटी एवं गहरी कर दिया
जाता है।
➤मंद ढालों के लिए ये रेखाएँ पतली एवं दूर-दूर बनाई जाती है।
➤धरातल का जो भाग जितना अधिक ढलुवाँ होता है ,हैश्यूर विधि के मानचित्र पर वह भाग उतना ही अधिक काला दिखाई देता है।
➤हैश्यूर विधि का विकास ऑस्ट्रिया के एक सैन्य अधिकारी लेहमान ने किया था।
2. पर्वतीय छायाकरण :-इस विधि के अंतर्गत उच्चावच-प्रदर्शन के लिए भू-आकृतियों पर उत्तर पश्चिम
कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है।
➤इसके कारण अँधेरे में पड़ने वाले हिस्से को या ढाल को गहरी आभा से भर देते है
जबकि प्रकाश वाले हिस्से या कम ढाल को हल्की आभा से भर देते है
3. तल चिन्ह :-समुद्र तल से मापी गई ऊंचाई को प्रदर्शित करने वाले चिन्ह को तल चिन्ह कहा
जाता है। इसके द्वारा भवनों ,पुलों ,पत्थरों जैसे स्थाई वस्तुओं को मापी की जाती है।
➤ऐसे ऊंचाई को प्रदर्शित करने के लिए ऊंचाई फीट अथवा मीटर किसी एक इकाई में
लिखा जाता है।
4. स्थानिक ऊंचाई :-तल चिन्ह की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊंचाई को स्थानिक ऊंचाई
कहा जाता है।
➤इस विधि में मानचित्र में बिंदुओं के द्वारा ,विभिन्न स्थानों की ऊंचाई संख्या में लिख दिया जाता है।
5. त्रिकोणमितीय स्टेशन :-त्रिकोणमितीय स्टेशन का संबंध उन बिंदुओं से है जिनका उपयोग त्रिभुजन विधि
द्वारा सर्वेक्षण करते समय स्टेशन के रूप में हुआ था।
6. स्तर रंजन :-रंगीन मानचित्र में रंगों की विभिन्न आभाओं के द्वारा उच्चावच प्रदर्शन ही
स्तर रंजन विधि है,इस विधि के अनुसार समुद्र या जलीय भाग को नीले रंग
से दिखाया जाता है ,मैदान को हरा रंग से,
पर्वतों को बदामी हल्का कत्थई रंग से तथा बर्फीले क्षेत्र को
सफेद रंग से दिखाया जाता है।
➤ऊंचाई में वृद्धि के अनुसार रंगों की आभाएँ हल्की होती जाती है।
7. समोच्च रेखाएँ :- समोच्च रेखाएँ भूतल पर समुद्र जल तल से एक समान ऊंचाई वाले बिंदुओं/स्थानों
को मिलाकर मानचित्र पर खींची जानेवाली काल्पनिक रेखाएँ है।
➤समोच्च रेखाओं की सहायता से उच्चावच प्रदर्शन की विधि को सर्वश्रेष्ठ माना
गया है।
➤मानचित्र पर समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है।
➠विभिन्न प्रकार के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए समोच्च रेखाओं के
खींचने या बनाने का प्रारूप अलग-अलग होता है।
i. एक समान ढाल को दिखाने के लिए समोच्च
रेखाओं को समान दुरी पर खींचा जाता है।
ii. खड़ी ढाल को दिखाने के लिए समोच्च रेखाएँ
पास-पास बनाई जाती है।
iii. मंद ढाल के लिए इन रेखाओं
को दूर-दूर बनाया जाता है।
➤अनेक भूआकृतियों को मानचित्र पर समोच्च रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है।
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