उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
*उपभोक्ता :-जब व्यक्ति,वस्तुएँ एवं सेवाएँ अपने प्रयोग के लिए खरीदता
है तो वह उपभोक्ता कहलाता है।
➤उपभोक्ता बाजार व्यवस्था का महत्वपूर्ण
अंग है।
➤महात्मा गाँधी ने बहुत पहले ही
उपभोक्ता जागरण के लिए एक मूल वाक्य कहा था,:-"ग्राहक हमारी दुकान में आनेवाला सबसे
महत्वपूर्ण व्यक्ति है। वह हम पर निर्भर नहीं,हम उनपर निर्भर है।"
*उपभोक्ता
जागरण*
⇒वर्तमान
युग में उपभोक्ताओं में वस्तु के मूल्य-निर्माण एवं गुणवत्ता के प्रति जागरूक करना
ही ,उपभोक्ता जागरण कहलाता है।
➤प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है की
वह जिस वस्तु का उपभोक्ता है, उसके बारे में पूर्ण जानकारी ले।
जैसे :-वस्तु का गुण ,मात्रा
आदि
➤यदि उपभोक्ता किस विशेष वस्तु का उपयोग
करता है और समान खराब निकलता है तो उपभोक्ता अपने निकटतम "उपभोक्ता
केंद्र" में उसकी शिकायत दर्ज करवा कर मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
*उपभोक्ता जागरूकता हेतु आकर्षक नारे
⇒उपभोक्ता
जागरूकता हेतु निम्न आकर्षक नारे है-
1. जागो ग्राहक जागो
2. अपने अधिकारों को पहचानों
3. ग्राहक सावधान
4
सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है
5. उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा
करों
*उपभोक्ता शोषण :-जब एक उपभोक्ता को दुकानदार या उत्पादक द्वारा
कम गुणवत्ता या घटिया वस्तुएँ उसे दी जाएँ तथा इन वस्तुओं और सेवाओं के लिए अधिक
मूल्य लिया जाए,तो इसे उपभोक्ता शोषण कहते हैं।
➥उपभोक्ता शोषण के मुख्य कारक
1. मिलावट की समस्या
2. कम तौल
3. कम गुणवत्ता वाली वस्तु
4. ऊँची कीमत
5. डुप्लीकेट वस्तुएँ
*उपभोक्ता संरक्षण एवं सरकार
⇒सरकार
ने उपभोक्ताओं की हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर कदम उठाते हुए अनेक उपभोक्ता
कानून बनाए है और वर्तमान में सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ता को
जागरूक बनाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है ताकि लोग अपने अधिकारों को समझ
सकें।
➤भारत सरकार ने 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986' को अपनाने में विश्व के विकसित देशों जैसे ग्रेट ब्रिटेन ,न्यूजीलैंड ,सयुंक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में लागु 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम' एवं व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के बाद अपनाया।
*उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
⇒'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986' महत्वपूर्ण अधिनियम है,जिसमें
उपभोक्ताओं को बाजार में बेची जानेवाली वस्तुओं के संबंध में संरक्षण का अधिकार
दिया गया है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में
सभी वस्तुओं,सेवाओं तथा व्यक्तियों,चाहे
निजी क्षेत्र हो या सार्वजानिक क्षेत्र को शामिल किया जाता है। इसके तहत
उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार प्राप्त है की वह वस्तु या सेवा की गुणवत्ता ,परिमाप
,क्षमता
,शुद्धता
,मानक
और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके।
➤राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन न० - 1800114000
है।
➤उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के
अंतर्गत उपभोक्ता को कुछ अधिकार प्रदान किए गए है।
1. सुरक्षा का अधिकार :-उपभोक्ता का प्रथम अधिकार सुरक्षा का अधिकार
है। इस अधिकार का सीधा संबंध बाजार से खरीदी जानेवाली वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ा
हुआ है। उपभोक्ता को ऐसे वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है
जिससे उसके शरीर या संपत्ति को हानि हो सकती है।
2. सुचना पाने का अधिकार :-उपभोक्ता को वे सभी आवश्यक सूचनाएँ भी प्राप्त
करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तुओं या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते
है।
3. चुनाव या पसंद करने का अधिकार :-उपभोक्ता अपने अधिकार के अंतर्गत विभिन्न
निर्माणताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्रांड ,किस्म ,गुण ,रूप ,रंग ,आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु
का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
4. सुनवाई का अधिकार :-उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली
सभी बातों को उपयुक्त मंचो के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है।
5. शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार :-यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है की
खरीदी गयी वस्तु या सेवा उचित ढंग की अगर नहीं निकली तो उन्हें मुआवजा दिया
जायेगा।
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार :-उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत,किसी
वस्तु के मूल्य,उसकी उपयोगिता ,आदि से ज्ञान प्राप्ति की सुविधा जैसी
बातें आती है।
➤उपभोक्ताओं के अधिकार की रक्षा एवं
हितों का संरक्षण करने के लिए सरकारी स्तर पर 'केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद्' एवं
राज्य स्तर पर 'राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद्' की
स्थापना की गई है।
*उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा
गठित न्यायिक प्रणाली
⇒उपभोक्ताओं
की शिकायतों के समाधान ,उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है
जिसमे,
राष्ट्रीय स्तर पर - 'राष्ट्रीय आयोग'
राज्य स्तर पर - 'राज्य स्तरीय आयोग'
जिला स्तर पर - 'जिला मंच'(फोरम) की स्थापना की गई है।
➤पहले शिकायत 'जिला
फोरम' में की जाती है। अगर शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं
है तो मामलों को 'राज्य-फोरम'
फिर 'राष्ट्रीय फोरम' में
ले जा सकता है। फिर भी उपभोक्ता राष्ट्रीय
फोरम से संतुष्ट नहीं होता है तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर 'उच्चतम न्यायालय' में
अपील कर सकता है।
➤इस समय देश में 582
जिला फोरम ,35 राज्य आयोग ,और एक राष्ट्रीय आयोग काम कर रहे है।
*उपभोक्ता शिकायत कहाँ करें ?
⇒किसी
वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से कम है तो वह शिकायत 'जिला
फोरम' , 20 लाख के ऊपर और 1 करोड़ के निचे हो तो वह शिकायत 'राज्य
आयोग' , अगर किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 1
करोड़ से अधिक होने पर वह शिकायत 'राष्ट्रीय आयोग' में करेगा।
*राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
⇒हमारे
देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है,जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके
अधिकार से सबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। और इस संस्था को 'राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग' कहते है। इसके अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय
के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते है।
➤देश के प्रत्येक राज्य में एक 'राज्य
मानवाधिकार आयोग' का गठन किया जाता है जो देश के नागरिकों के
अधिकार और सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है।
➤महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार ,शोषण
संबधी शिकायत के निराकरण के लिए देश के स्तर पर 'राष्ट्रीय महिला आयोग' तथा
'राज्य
महिला आयोग' का गठन किया गया है।
Class 10th economics chapter 7 notes in hindi,ncert 10th economics notes in hindi,bihar board economics notes,10th economics in hindi,10th social science notes in hindi,10th ncert social science notes in hindi,bihar board 10th sst notes in hindi
0 टिप्पणियाँ