बिहार:कृषि एवं वन संसाधन(Agriculture & Forest Resources)
⇒बिहार एक कृषि प्रधान
राज्य है,यहाँ की 80% आबादी कृषि पर निर्भर है। 1990-91 में यहाँ 48.88 प्रतिशत भूमि पर कृषि की जाती थी,2005-06 में बढ़ कर 59.37 प्रतिशत हो गया।
➠यहाँ चार प्रकार की फसलें लगाई जाती है :-भदई ,अगहनी ,रबी एवं गरमा
*भदई(Autumn):-इसकी शुरुआत मई-जून से होती है और अगस्त-सितम्बर में कटाई कर ली
जाती है। भदई धान ,मकई ,जूट और
सब्जी की खेती इस समय में की जाती है।
*अगहनी(Winter) :-यह फसल मध्य जून से अगस्त तक लगाई जाती है और नवंबर-दिसम्बर में
काट ली जाती है। इस फसल की मुख्य पैदावार धान ,बाजरा ,अरहर ,गन्ना आदि है। लेकिन अरहर और गन्ना सालभर में
तैयार होता है।
➤यह बिहार की सबसे महत्वपूर्ण फसल है ,आधी से
अधिक कृषिगत भूमि पर अगहनी फसल लगाई जाती है।
➤अगहनी फसल को खरीफ फसल भी कहा जाता है।
*रबी(Spring):-इस फसल को अक्टूबर-नवंबर के मध्य में लगाया जाता है और अप्रैल में
काट लिया जाता है। इस फसल के मुख्य उपज गेंहूँ ,जौ ,दलहन ,तेलहन आदि है।
*गरमा(Summer):-इस फसल को गर्मी के मौसम में उन क्षेत्रों में लगाया जाता है जहाँ
सिंचाई की समुचित व्यवस्था है ,या फिर जहाँ स्थानीय जल-स्रोतों से मिट्टी गीली
रहती है। इस फसल में गरमा धान और ग्रीष्मकालीन सब्जियाँ उगाई जाती है।
➥बिहार की प्रमुख फसलों में धान,गेंहू ,मकई ,जौ ,गन्ना ,तम्बाकू ,दलहन और तेलहन हैं।
*खाद्यान्न फसलें (Food Crops)
⇒धान बिहार की खाद्यान्न
फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भदई ,अगहनी
तथा गरमा फसलें लगाई जाती है और इसकी खेती राज्य के सभी भागों में होती है।
➤उत्तरी तथा पूर्वी भागों में भदई धान की खेती की जाती है ,जबकि अगहनी धान की खेती पुरे राज्य में की जाती है।
➤धान का सबसे अधिक उत्पादन क्रमशः पश्चिमी चम्पारण ,रोहतास तथा औरंगाबाद में होता है। ये तीन जिला बिहार का 18 प्रतिशत से अधिक धान का उत्पादन होता है।
*गेंहूँ(Wheat):-खाद्यान्न
फसलों में धान के बाद गेंहूँ दूसरा महत्वपूर्ण फसल है। यह रबी फसल का मुख्य
उत्पादन है। सिंचाई और रासायनिक उर्वरकों के बल पर इसकी खेती की जाती है।
➤2006-07 में गेंहूँ के उत्पादन में रोहतास जिला प्रथम
रहा है।
*मक्का (Maize):-यह
बिहार का तीसरा मुख्य खाद्यान्न फसल है,यह भदई ,अगहनी ,रबी एवं गरमा (चारों फसलों) में पैदा होता है।
➤सिंचाई की व्यवस्था एवं उत्तम बीजों के उपयोग से इसके उत्पादन में
काफी वृद्धि हुई है।
➤इसका सबसे अधिक उत्पादन क्रमशः खगड़िया,समस्तीपुर एवं बेगूसराय है।
*मोटे अनाज(Cereal Crops):-मोटे अनाजों में महुआ ,मिलेट ,ज्वार और बाजरा को सम्मिलित किया जाता है।
➤मधुबनी जिला मोटे अनाज के उत्पदान में प्रथम स्थान रखता है दूसरे
स्थान पर किशनगंज है।
*तेलहन(Oil Seeds):-सरसों ,तीसी ,तिल ,मूंगफली ,रेड़ी मुख्य रूप से तेलहन फसलें है।
➤तेल निकालने के लिए मुख्य रूप से सरसों ,राई ,तीसी एवं सूरजमुखी का उपयोग होता है।
*दलहन(Pulses):-बिहार में दलहन फसलों में चना,मसूर ,खेसारी ,मटर मूंग ,अरहर ,उरद आदि प्रमुख हैं। जिसमें चना ,मसूर ,खेसारी ,मटर रबी दलहन की फसलें है ,जबकि अरहर और मूंग खरीफ दलहन की फसलें हैं।
➤दलहन उत्पादन में पटना जिला का स्थान सबसे आगे है ,जबकि दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः औरंगाबाद तथा कैमूर जिला है।
*व्यावसायिक फसलें(Commercial Crops)
*गन्ना(Sugarcane):-हमारे राज्य में गन्ना की खेती के लिए सभी अनुकूल भौगोलिक
परिस्थितियाँ मौजूद है,फिर भी यहाँ गन्ना का प्रति हेक्टेयर उत्पादन
बहुत कम है।
➤बिहार के उत्तरी पश्चिमी भाग में इसकी खेती प्रमुखता से होती है।
गंडक ,बागमती ,कमला
तथा घाघरा नदियों का दोआब (दो नदियों के बीच के क्षेत्र) प्रमुख उत्पादक क्षेत्र
है।
➤गन्ने के उत्पादन में पहला ,दूसरा
तथा तीसरे स्थान क्रमशः पश्चिमी चम्पारण ,गोपालगंज
तथा पूर्वी चम्पारण जिले हैं।
*जूट(Jute):-जूट का
उत्पादन बिहार के उत्तर-पूर्वी जिलों में होता है,क्योंकि यह अधिक वर्षा
वाला क्षेत्र है ,जो जूट उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
➤बिहार सम्पूर्ण देश का आठ प्रतिशत जूट उत्पादन करता है, जो की पश्चिम बंगाल और असम के बाद आता है। लेकिन अब बिहार में जूट
उत्पादन में तेजी से गिरावट हो रही है।
➤पूर्णिया। कटिहार ,मधेपुरा ,किशनगंज ,मधुबनी ,समस्तीपुर आदि जिला में जूट का उत्पादन मुख्य
रूप से होता है।
*तम्बाकू(Tobbaco):-तम्बाकू उतपादन में बिहार का भारत में छठा स्थान है ,इसकी खेती के लिए गंगा का दियारा क्षेत्र सबसे उपयुक्त है।
➤समस्तीपुर और वैशाली जिले इसके लिए प्रसिद्ध हैं।
*सब्जियाँ ,फल एवं मसाले(Vegetable,Spices and Fruits)
⇒बिहार में सब्जियों के
अंतर्गत आलू ,प्याज ,भिंडी ,पालक ,फूलगोभी ,पत्तागोभी
आदि की खेती की जाती है।
➤इनमे आलू एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है।
➤बिहार में आलू की पैदावार में पटना और नालंदा अग्रणी है।
*मिर्च(Chilli):-मिर्च की खेती दियार क्षेत्र में गंगा के दोनों किनारों पर बड़े
पैमाने पर की जाती है।
➤बिहार में अन्य मसालें हल्दी ,अदरक ,धनियाँ ,लहसुन की भी खेती की जाती है।
⇒मौसमी फलों में आम , लीची ,अमरुद ,केला ,पपीता ,सिंघाड़ा
एवं मखाने बिहार में उत्पन्न किए जाते है।
➤आम के लिए भागलपुर ,मुजफ्फरपुर ,पूर्णिया ,दरभंगा जिले प्रसिद्ध है।
➤लीची के लिए मुजफ्फरपुर ,वैशाली
को ख्याति प्राप्त है।
➤वैशाली ,खगड़िया ,बेगूसराय ,समस्तीपुर में बड़े पैमाने पर केले के बागान विकसित है।
➤मखाने के लिए मधुबनी एवं दरभंगा जिला प्रसिद्ध है।
➤गंगा का दियार क्षेत्र में खीरा ,ककड़ी
और तरबूजा की खेती की जाती है।
➤बिहार का भौगोलिक क्षेत्रफल 93.6 लाख हेक्टेयर है ,जिसमे 64 लाख हेक्टेयर बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र है।
➤बिहार देश का तीसरा बड़ा सब्जी उत्पादक राज्य है।
➤बिहार देश का सबसे बड़ा अमरुद एवं लीची उत्पादक राज्य है।
*कृषि की समस्याएँ(Problems of Agricultures)
⇒बिहार की 90% आबादी गाँवों में रहती है और 80% जनसँख्या कृषि पर आश्रित है।
➠यह राज्य अनेक समस्याओं से जूझ रहा है :-
i. मिट्टी कटाव एवं गुणवत्ता का हास्य
ii. घटियाँ बीजों का उपयोग
iii. खेतों का छोटा आकार
iv. सिंचाई की समस्या
v. बाढ़
*जल संसाधन(Water Resources)
1. धरातलीय जल :-इसके अंतर्गत नदियाँ ,जलाशय ,तालाब आते है।
2. भूमिगत जल :-इसके अंतर्गत नलकूप ,हैंडपंप ,कुआँ आदि आते है।
➤बिहार में जल संसाधन का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई ,गृह एवं औद्योगिक संस्थानों में होता है।
➤वर्तमान समय में 95 प्रतिशत से अधिक जल संसाधन का उपयोग सिंचाई में
होता है।
➤बिहार में सिंचाई के मुख्य साधनों में नहर ,नलकूप ,तालाब। पईन है।
*नहर
⇒बिहार में सिंचाई के लिए
नहर प्रमुख साधन है। यहाँ कुल भूमि का 40.63 प्रतिशत भाग नहरों द्वारा सिंचित होता है।
*आजादी के पूर्व की नहरें
*सोन नहर :-यह सोन सिंचाई परियोजना का एक भाग है,यह बिहार का पहला आधुनिक सिंचाई परियोजना है,इसे 1874 में डिहरी पर निर्मित किया गया।
*सारण नहर :-गोपालगंज प्रखंड में 1880 में इस नहर का निर्माण हुआ था।
*ढाका नहर :-ढाका अनुमंडल में ललबकिया नदी पर यह एक छोटा नहर
है जिसकी कुल लम्बाई 30km है और इसके द्वारा 4500 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
*त्रिवेणी नहर :-इसका निर्माण 1903 में पश्चिमी चम्पारण में भारत-नेपाल सीमा पर गंडक नदी त्रिवेणी नामक स्थान के निकट हुआ,इसकी कुल लम्बाई 1.094km है।
*आजादी के बाद की नहरें :-
*कोसी नहर :-कोसी नदी पर भारत-नेपाल सीमा पर हनुमान नगर के
पास बांध बना कर दो नहरे निकाली गई हैं।
1. पूर्वी कोसी नहर :-पूर्वी कोसी नहर की कुल
लम्बाई 44km है।
2. पश्चिमी कोसी नहर:-पश्चिमी कोसी नहर की कुल लम्बाई 115km है।
*गण्डक नहर :-गण्डक नदी पर त्रिवेणी स्थान से 85km दक्षिण बाल्मीकि नगर के पास एक 743km लम्बा और 760मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया था।
*नलकूप :-सिंचाई के लिए नहर के बाद दूसरा प्रमुख साधन नलकूप है।
➤नलकूपों द्वारा सिंचाई समस्तीपुर एवं सीतामढ़ी जिलों में होती है।
*कुआँ :-बिहार राज्य में कुएँ का उपयोग प्राचीन काल से ही होता रहा है,लेकिन अब इसका प्रचलन बहुत ही कम हो गया है। अब इसके स्थान पर
पम्पसेट का प्रयोग होने लगा है।
*तालाब :-भारत में 9प्रतिशत कृषि योग्य भूमि की सिंचाई तालाबों द्वारा किया जाता है।
➤तालाबों द्वारा सिंचाई में मधुबनी जिले का स्थान प्रथम है।
*नदीघाटी योजनाऐं (River Valley Project)
⇒प्रथम तीन नदी घाटी
परियोजना प्रमुख है :-
1. सोन नदी घाटी परियोजना :-यह परियोजना बिहार की सबसे पुरानी और पहली नदी
घाटी परियोजना है, इसका विकास अंग्रेज सरकार ने 1874 में सिंचाई के लिए किया था। इससे डेहरी के पास
से पूरब एवं पश्चिम की ओर नहरें निकाली गईं है। इसकी कुल लम्बाई 130km थी।
➤इस परियोजना से सूखा प्रभावित क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्राप्त
होने से बिहार का दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र का प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफी बढ़ गया
और चावल की अधिक खेती होने लगी है। इस कारण से इस क्षेत्र को बिहार का "चावल
का कटोरा" कहते है।
2. गण्डक नदी घाटी परियोजना :-यह उत्तर प्रदेश और बिहार की एक सयुंक्त
परियोजना है जो की भारत और नेपाल के सहयोग से बाल्मिकीनगर के पास शुरू किया गया
है। इस परियोजना द्वारा बिजली सिंचाई तथा जल की आपूर्ति नेपाल को भी की जाती है।
➤इस परियोजना के निर्माण के लिए भैंसालोटन नामक स्थान पर नदी के
आर-पार 743 मीटर लम्बा अवरोधक बाँध बनाकर बाल्मीकि जलाशय का
निर्माण किया गया है।
3. कोसी नदी घाटी परियोजना :-इस परियोजना की कल्पना 1896 में किया गया था,लेकिन वास्तविक रूप से 1955 में कार्य प्रारम्भ हुआ।
➤यह परियोजना नेपाल सरकार,भारत सरकार तथा बिहार
राज्य की सामूहिक प्रयास का फल है ,इसका
मुख्य उद्देश्य नदी के बदलते मार्ग को रोकना है।
➤कोसी बैराज 12161.30 मीटर लम्बा है जो की 1963 में बनकर तैयार हुआ था।
4. दुर्गावती जलाशय परियोजना :-इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कैमूर एवं रोहतास
जिलें के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को सिंचित करना एवं बाढ़ नियंत्रण है।
5. ऊपरी किऊल जलाशय परियोजना :-यह एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है ,इसका निर्माण किऊल नदी के
ऊपरी भाग में हुआ है। जिससे मुंगेर तथा लखीसराय जिलों के 14000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई करने की योजना है।
6. बागमती परियोजना :-यह परियोजना बागमती नदी पर सीतामढ़ी जिला में
स्थित है।
7. बरनार जलाशय परियोजना :-इस परियोजना द्वारा बरनार नदी पर पक्का बांध
बनाकर जमुई जिले के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई का काम करना है।
*वन संसाधन(Forest Resources)
⇒बिहार विभाजन के बाद
अधिकतर वनाच्छादित क्षेत्र झारखंड में चला गया है। वर्तमान बिहार में 76.87 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में ही वन है।
➤बिहार में कुल 6374 वर्ग किलोमीटर अधिसूचित वन क्षेत्र है।
➤76 वर्ग किलोमीटर में अतिसघन वन हैं।
➠बिहार के वनों को दो वर्गों में रखा जाता है :-
1. आर्द पतझड़ वन(Moist Deciduous Forest):-इस प्रकार के वन दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्र एवं उत्तर पश्चिमी भाग में
पाए जाते है। शिवालिक क्षेत्र(उत्तर भारत में हिमालय के पास एक वृहद पर्वत शृंखला)
में 917 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इस वन का विस्तार है।
➤इस प्रकार के वनों में मुख्य रूप से साल और शीशम के वृक्षों की
प्रधानता है। लेकिन इसके अतिरिक्त जामुन ,कटहल ,बांस ,महुआ आदि के वृक्ष भी पाए जाते है।
2. शुष्क पतझड़ वन(Dry Deciduous Forest):-इस प्रकार के वन बिहार के पूर्वी मध्यवर्ती भाग
तथा दक्षिण-पश्चिमी पहाड़ी भागों में इस वन का विस्तार है।
➤कैमूर और रोहतास जिले में इसका अधिक विस्तार है।
➤इस वन के प्रमुख वृक्ष खैर,महुआ ,नीम ,शीशम आदि है।
➤पटना ,सिवान ,भोजपुर ,वैशाली ,मधुबनी ,बेगूसराय ,दरभंगा ,बक्सर आदि जिलों में एक प्रतिशत से भी कम भूमि
में वन मिलते है।
➤पश्चिमी चम्पारण ,कैमूर ,जमुई ,गया ,बांका और मुंगेर जिलों के पहाड़ी भागों में वनों
का विस्तार है।
➥यंहा के मुख्य वन्य जीवों में बाघ ,चीता ,हिरण ,चितल ,सांभर ,भालू आदि है ,पक्षी में मोर और जल-जिव में घड़ियाल ,सोस ,मगर प्रमुख है।
➤वनों की अंधाधुंध कटाई और वन्य पशुओं पक्षीयों के शिकार के कारण भी
वन्य जीवों की संख्या तेजी से घटती जा रही है।
*वनों एवं वन्य जीवों का
संरक्षण(Forest and Wild Life
Conservation)
⇒बिहार में कुल भौगोलिक
क्षेत्र का मात्र 6.87 प्रतिशत भाग ही वनाच्छादित है ,जबकि राष्ट्रीय नीति के अनुसार 33 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित होना चाहिए।
➤राष्टीय सम विकास योजना (RSVY) के तहत समुदाय आधारित वन प्रबंध एवं संरक्षण योजना प्रारम्भ की है।
➤बिहार में 14 अभ्यारण्य एवं एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसके
अंतर्गत कुल 2064.41 हेक्टेयर भूमि है। जिनमे पटना संजय गाँधी जैविक उद्यान ,बेगूसराय जिला अंतर्गत मंझौल अनुमंडल में 2500 एकड़ पर फैला कावर झील ,दरभंगा जिला में कुशेश्वर स्थान वन्य जीवों के संरक्षण के लिए
प्रसिद्ध है।
➤संजय गाँधी जैविक उद्यान,पटना में स्थित लगभग 980 एकड़
क्षेत्र में विकसित है और यह बिहार का एक मात्र राष्ट्रीय उद्यान है।
➤कांवर झील प्रवासी पक्षियों का प्रमुख पड़ाव है,प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डा० सालीम अली ने इसे "पक्षियों का
स्वर्ग" कहा था।
➤कावर झील में 300 प्रजातियों के पक्षियों का अध्ययन एक साथ संम्भव
है।
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