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Ex:-3 निर्माण उद्योग

class10 Geography book का निर्माण उद्योग chapter का Notes है। इस Notes में आपको बहुत ही सरल भाषा में निर्माण उद्योग से सबंधित सभी टॉपिक को शामिल किया गया है। इस Notes से आप निर्माण उद्योग से सबंधित अपने सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर लिख सकते है। और साथ ही साथ इस chapter का objective question का test भी दे सकते है। 
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 निर्माण उद्योग

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विनिर्माण उद्योग किसी भी राष्ट्र के विकास और संपन्नता का सूचक है।

*विनिर्माण उद्योग :-कच्चे माल द्वारा जीवनोपयोगी वस्तुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है।

जैसे:-गन्ने से चीनी ,कपास से कपडा आदि का निर्माण

भारत में आधुनिक औद्योगिक विकास का प्रारंभ मुंबई में प्रथम सूती कपड़े की मिल की स्थापना 1854 से हुआ था।

जूट का पहला कारखाना 1855 में कोलकाता के निकट रिशरा नामक स्थान पर लगाया गया था।

किसी भी उद्योग को स्थापित करने में कई कारको का योगदान होता है -

1. भौतिक कारक :-कच्चा माल ,शक्ति के साधन ,अनुकूल जलवायु आदि

2. मानवीय कारक :-श्रमिक ,बाजार ,परिवहन ,बैंक सुविधा आदि

उद्योग का वर्गीकरण

उद्योग का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जा सकता है।

1. श्रम के आधार पर

2. कच्चे माल के आधार पर

3. स्वामित्व के आधार पर

4. कच्चे माल के स्रोत के आधार पर

1. श्रम के आधार पर उद्योग को तीन वर्गों में बाँटा गया है।

i. बड़े पैमाने का उद्योग :-जब उद्योग में बड़ी मात्रा में श्रमिकों और पूंजी का प्रयोग होता हो और अधिक उत्पादन हो तो उन्हें बड़े पैमाने का उद्योग कहते है।

जैसे :-पटसन उद्योग ,सूती उद्योग

ii. मध्यम पैमाने का उद्योग :-जब उद्योगों में न तो बहुत अधिक श्रमिक का प्रयोग होता हो और न ही बहुत उत्पादन होता हो तो उन्हें मध्यम पैमाने का उद्योग कहते है।

जैसे :-टेलीविज़न ,रेडियो ,साईकिल आदि उद्योग

iii. छोटे पैमाने का उद्योग :-वैसा उद्योग जिसमें परिवार के सदस्य मिलकर सरल विधियों से वस्तु का निर्माण करते है और इसमें पूंजी भी बहुत कम लगाई जाती है।

जैसे :-ग्रामीण लघु उद्योग ,घरेलु उद्योग

2. कच्चे माल के आधार पर उद्योग को दो वर्गों में बाँटा गया है।

i. भारी उद्योग :-वैसा उद्योग जिसमें भारी कच्चे माल का प्रयोग होता है ,जिससे निर्मित वस्तुएँ भी भारी होती है।

जैसे :-लोहा एवं इस्पात उद्योग

ii.हल्के उद्योग :-वैसा उद्योग जिसमें हल्के कच्चे माल का प्रयोग होता है ,जिससे ये हल्के माल का निर्माण करते है।

जैसे :-विधुत उपकरण ,सिलाई मशीन उद्योग

3. स्वामित्व के आधार पर

i. सार्वजनिक उद्योग :-इसमें भारी तथा आधारभूत उद्योग शामिल है ,जिसका संचालन सरकार करती है।

जैसे :-भिलाई ,दुर्गापुर आदि के लोहा इस्पात केंद्र

ii. सहकारी उद्योग :-वैसा उद्योग जिसमे दो या दो से अधिक व्यक्तियों या सहकारी समितियों का योगदान हो तो उसे सहकारी उद्योग कहा जाता है।

जैसे :-अमूल ,महाराष्ट्र के चीनी उद्योग

4. कच्चे माल के स्रोत के आधार पर

i. कृषि आधारित उद्योग

ii. खनिज आधारित उद्योग

iii. तैयार माल आधारित संरचनात्मक एवं उपकरण उद्योग

iv. वायुयान उद्योग

 

कृषि आधारित उद्योग

सूती वस्त्र ,रेशमी वस्त्र ,ऊनी वस्त्र ,जूट तथा खाद्य तेल कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित उद्योग है।

सूती वस्त्र उद्योग

सूती वस्त्र बनाने में भारत का एकाधिकार बहुत प्राचीन काल से चला आ रहा है,सूती वस्त्र उद्योग आज भारत का सबसे विशाल उद्योग है। यह कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। प्रारंभिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग की ज्यादातर मिलें महाराष्ट्र और गुजरात में स्थापित थी। महाराष्ट्र में मुंबई ,पुणे ,वर्धा ,नागपुर आदि तथा गुजरात में सूरत ,अहमदाबाद ,राजकोट आदि प्रमुख सूती वस्त्र उद्योग केंद्र हैं।

आधुनिक पहली सूती मिल की स्थापना 1818 ई० में कोलकाता के निकट फोर्ट-ग्लास्टर नामक स्थान पर स्थापित की गई।

पहली सफल मिल 1854ई० ,मुंबई में काबस जी नानाभाई डाबर ने लगाई।

मुंबई  कपड़ों की महानगरी(Cotton polis) कहा जाता है।

भारत में सूती कपड़ों का निर्यात मुख्यतः सिले-सिलाये कपड़ो के रूप में होता है।

भारतीय  वस्त्र में मुख्य आयातक देश रूस ,फ्रांस ,नेपाल ,अमेरिका ,अफ्रीकी देश आदि है।

जूट या पटसन उद्योग

जूट उद्योग,सूती वस्त्र उद्योग के बाद भारत का दूसरा महत्वपूर्ण वस्त्र उद्योग है। कच्चे जूट और जूट से बने सामान के उत्पादन में भारत का संसार में पहला स्थान है। जूट सामान के निर्यात में भारत का बंगलादेश के बाद विश्व में दूसरा स्थान है। पश्चिम बंगाल में 80% से अधिक जूट के सामानों का उत्पादन होता है। भारतीय जूट उत्पादों के प्रमुख ग्राहक कनाडा ,रूस ,अमेरिका ,अरब देश आदि देश है।

भारत में जूट के 77 कारखाने हैं। जिनमे 69 मिलें पश्चिम बंगाल में है।

पश्चिम बंगाल में अधिकांश मिलें हुगली नदी के किनारे पर 98 किलोमीटर लम्बी तथा 3 किलोमीटर एक संकरी मेखला में स्थित है।

ऊनी वस्त्र उद्योग

यह देश के सबसे पुराने वस्त्र उद्योगों में से है। ऊनी वस्त्र उद्योग का संकेन्द्र पंजाब ,,गुजरात हरियाणा ,महाराष्ट्र आदि राज्यों में है। लुधियाना ,धारीवाल और अमृतसर पंजाब के प्रमुख केंद्र हैं। महाराष्ट्र में मुंबई इसका सबसे बड़ा केंद्र है।

भारतीय ऊन का सामान रूस ,कनाडा ,अमेरिका ,यूरोप के देशों  निर्यात किया जाता है।

अंगूरा का ऊन खरगोश के रोएँ  प्राप्त किया जाता है।

पसमीना ऊन,एक विशेष नस्ल की बकरियों के रोएँ से तैयार किया जाता है जो नरम और मुलायम होता है।

रेशमी वस्त्र

प्रारंभ से ही भारत रेशम से बनी वस्तुओं के उत्पदान के लिए विश्व प्रसिद्ध रहा है। भारत में रेशम की लगभग 90 मिलें है। भारत लगभग 8.5 लाख किलोग्राम रेशम का धागा तैयार करता है। 90 % से अधिक रेशम का उत्पादन तमिलनाडु ,पश्चिम बंगाल,कर्नाटक और जम्मू और कश्मीर राज्यों में होता है। भारतीय रेशम के माँग यूरोप और एशिया के देशों में बहुत अधिक है। यूनाइटेड किंगडम ,अमेरिका ,सऊदी अरब ,कुवैत ,सिंगापूर जैसे देशें रेशमी कपड़ों के प्रमुख आयातक देश है।

कृत्रिम वस्त्र

कृत्रिम वस्त्र उद्योग में कृत्रिम धागे का प्रयोग किया जाता है। इन वस्त्रों का हमारे वस्त्र उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान है। ये मजबूत एवं टिकाऊ होते है ,रंगने और बुनने में भी आसानी होती है।

मानव निर्मित रेशों को रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से लुगदी ,कोयला तथा पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। मुंबई ,सूरत ,दिल्ली ,कोलकाता कृत्रिम वस्त्र उद्योग के महत्वपूर्ण केंद्र है।

कृत्रिम धागे पेट्रो रसायन के उत्पादन द्वारा तैयार किया जाता है।

जैसे :-नाइलान ,पालिस्टर रियान ,पालीमर

चीनी उद्योग

भारत संसार में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गुड़ और खांडसारी को मिलाकर चीनी के उत्पादन में भी इसका पहला स्थान है। चीनी उद्योग गन्ने पर निर्भर करता है।

आधुनिक आधार पर इस उद्योग का विकास 1903 में प्रारंभ हुआ जब बिहार के सारण जिले के मढौर में एक चीनी मिल की स्थापना की गई। 2008 में देश में चालू चीनी मीलों की संख्या 615 थी जिसमे महाराष्ट्र में 134 से अधिक मिलें है।

खनिज आधारित उद्योग

वैसा उद्योग जो अपने कच्चे माल के लिए खनिजों पर निर्भर है ,खनिज आधारित उद्योग कहलाते है।

जैसे :-लौह एवं इस्पात ,सीमेंट तथा रसायन उद्योग आदि

लौह और इस्पात उद्योग

लौह और इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है,क्योकि सभी भारी ,हल्के और माधयम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर करते है।इसमें भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले कच्चे माल का उपयोग होता है। इसमें लौह अयस्क ,कोकिंग कोल ,चुना पत्थर ,मैगनीज अयस्क महत्वपूर्ण है। इसे उद्योगों का जनक भी कहा जाता है।

भारत वासियों को लोहा बनाने की कला ईसा से हजारों वर्ष पहले से आती थी।

भारत में लौह इस्पात का पहला कारखाना 1830 में पोर्तोनोवा नामक स्थान पर तमिलनाडु में स्थापित किया गया था।

आधुनिक लौह इस्पात उद्योग का वास्तविक रूप से प्रारंभ 1864ई० में पश्चिम बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर स्थापित हुआ था और इस्पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी द्वारा झारखण्ड में कारखाना की स्थापना के साथ हुआ।

इस समय भारत में 10 बड़े लोहा एवं इस्पात संयंत्र है और लगभग 200 छोटे इस्पात संयंत्र है।

लौह इस्पात के अधिकांश संयत्रं भारत के छोटानागपुर पठार में स्थापित है।

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र  लौह इस्पात संयत्रों का प्रबंध भारतीय इस्पात प्राधिकरण(SAIL) के अधीन है ,जबकि टिस्को(TISCO)का प्रबंध टाटा स्टील करती है।

जमशेदपुर को भारत का बर्मिघम कहा जाता है।

एल्युमिनियम उद्योग

यह भारत का दूसरा महत्वपूर्ण धातु उद्योग है। लचीला ,हल्का ,जंगरोधी ,ऊष्मा और विधुत का सुचालक होता है।

इसका अयस्क बक्साइट है।

एक टन एल्युमिनियम के लिए लगभग 6 टन बाक्साइट तथा 18600 किलोवाट विधुत की आवश्यकता होती है।

इसका उपयोग हवाई जहाज ,बर्तन उद्योग ,तथा तार बनाने में किया जाता है।

आज देश में 8 प्रमुख एल्युमिनियम संयंत्र है जो उड़ीसा ,केरल ,तमिलनाडु आदि राज्यों में स्थित है।

ताँबा प्रगलन उद्योग

भारत में पहला ताँबा प्रगलन संयंत्र भारतीय ताँबा निगम द्वारा घाटशिला नामक स्थान पर झारखण्ड राज्य में स्थापित किया गया था। 1972 में भारतीय ताँबा निगम को हिंदुस्तान ताँबा लिमिटेड के अंतर्गत हस्तांतरित कर दिया गया है।

हिंदुस्तान ताँबा लिमिटेड भारत में एक मात्र ताँबा उत्पादन संस्थान है। 

भारत की सबसे पुराने ताँबे की खान राजस्थान के खेतड़ी नामक स्थान पर है।

ताँबा से पीतल ,काँसा ,जर्मन सिल्वर ,रोल्डगोल्ड ,आदि धातु बनाई जाती है।

रासायनिक उद्योग

रासायनिक उद्योग का देश में आर्थिक विकास में महत्वपुर्ण स्थान है। यह आकार में विश्व का 12वां तथा एशिया में तीसरा स्थान रखता है।

भारतीय अकार्बनिक रसायनों का उपयोग उर्वरक ,कृत्रिम रेशे ,गोंद ,कागज ,साबुन आदि बनाने में  किया जाता है।

भारी कार्बनिक रासायनिक उद्योगों के अंतर्गत पेट्रोलियम प्रमुख है।

उर्वरक उद्योग

भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा मिट्टी की उपजाऊ बनाये रखने के लिए उर्वरक का उपयोग अनिवार्य है।

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उत्पादक है।

भारत का पहला उर्वरक संयंत्र 1906 में तमिलनाडु के रानीपेट में स्थापित किया गया था।

इस उद्योग का वास्तविक विकास 1951 में भारतीय उर्वरक निगम द्वारा सिंदरी में संयंत्र स्थापित करने के साथ हुआ।

सीमेंट उद्योग

सीमेंट उद्योग का आवास निर्माण एवं देश के ढांचागत क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है।सीमेंट उद्योग के लिए कच्चा माल जैसे चुना पत्थर ,कोयला ,सिलिका ,एलुमीनियम और जिप्सम की आवश्यकता होती है।

पहला सीमेंट संयंत्र 1904 में चेन्नई में स्थापित किया गया था।

देश में 159 बड़े तथा 332 से अधिक छोटे सीमेंट संयंत्र है।

भारत में कई तरह के सीमेंट का उत्पादन होता है।

जैसे :-सीमेंट ,सफ़ेद सीमेंट ,साधारण पोर्टलैंड आदि

*तैयार माल आधारित संरचनात्मक एवं उपकरण उद्योग

 परिवहन उपकरण उद्योग

i. रेलवे :-भारत में रेलवे  का जाल हर कस्बों -शहरों में  बिछा है।रेलवे इंजन ,यात्री डिब्बे और माल डिब्बे निर्माण का उद्योग बड़े स्तर पर विकसित हुआ है ,भारत रेलवे के भारी डिब्बों का बड़े पैमाने पर निर्यात भी करते है।

बड़ी लाइन वाले विधुत चालित इंजन पश्चिम बंगाल में स्थित चितरंजन के लोकोमोटिव वर्क्स में बनाये जाते है।

वाराणसी में डीजल चालित रेल इंजन के बनाने का कारखाना है।

सवारी के डिब्बे बंगलौर ,कपूरथला ,पैराम्बुर और कोलकाता में बनाये जाते है।

बिहार के पटना जिले के मोकामा में भारत वैगन एंड इंजीनियरिंग कम्पनी लिमिटेड है जो रेलवे के लिए वैगन तैयार करता है।

मुंगेर जिले के जमालपुर में रेलवे का वर्कशॉप है,जो एशिया का सबसे पुराना रेलवे वर्कशॉप है।

सारण जिले के छपरा में रेलवे पहिया बनाने का कारखाना है और नालंदा जिले के हरनौत में सवारी गाड़ी के रेलवे डिब्बे बनाने का कारखाना है।

ii.मोटर गाड़ी उद्योग

सड़क परिवहन रेल परिवहन की तुलना में अधिक व्यापक है। मोटर वाहन जैसे ट्रक ,बस ,कार ,स्कूटर आदि बड़ी संख्या में निर्मित किये जाते है।

तिपहिया स्कूटरों के निर्माण में भारत का संसार में प्रथम स्थान है।

मोटर साइकिलों का निर्माण लखनऊ ,सतारा ,पंकी ,आदि शहरों में बनाये जाते है।

मारुती उद्योग दिल्ली के निकट गुड़गावं ,हरियाणा में है।

टाटा नैनो कार कम्पनी गुजरात में सस्ती कार बनाती है।

टाटा इंजीनियरिंगी एंड लोकोमोटिव कम्पनी लिमिटेड(TELCO) भारत में मध्यम तथा भारी व्यापारिक वाहनों के मुख्य उत्पादक हैं।

iii.पोत निर्माण उद्योग

पोत निर्माण एक बड़ा उद्योग है,और इसके उद्योग के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

इस समय देश में पोत निर्माण के पाँच प्रमुख केंद्र है-विशाखापत्तनम ,कोलकाता ,कोच्चि ,मुंबई और मंझगावं।

बड़े-बड़े आकार के पोतों का निर्माण कोच्चि और विशाखापत्तनम में होता है।

मझगावं पोत प्रांगण भारतीय नौसेना के पोतों के निर्माण के लिए बनाया गया है।

iv.वायुयान उद्योग

यह एक नया उद्योग है तथा यह पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में हैं। इस उद्योग का पहला करखाना हिन्दुस्तान एयर क्राफ्ट लिमिटेड बंगलुर में 1940 में लगाया गया था।इस कारखाने को 1964 में एरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ मिलाकर हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड बंगलूर में बनाया गया था जिसका लोकप्रिय नाम (HAL) है।

भारत कृषक ,पुष्पक ,सुपरसोनिक ,बमवर्षक हेलीकाप्टर ,मिग आदि वायुयानों का निर्माण करते है।

*तकनीकी एवं श्रमिक दक्षता आधारित उद्योग

i.सुचना प्रौधोगिकि तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग

इस उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहते है ,यह वह उद्योग है जो मुख्यतः सुचना प्रौद्योगिकी से संबंधित है।

इस उद्योग के अंतर्गत टेलीविजन ,टेलीफोन ,पेजर ,कम्प्यूटर ,रडार ,लेजर ,अंतरीक्ष उपकरण ,टेलीकॉम सॉफ्टवेयर आदि आते है।

इनके प्रमुख उत्पादक केंद्र बंगलूर ,मुंबई ,दिल्ली ,हैदराबाद ,पुणे आदि है।

बंगलौर को इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की राजधानी कहते है ,और इसे सिल्कन नगर(Silcon City) भी कहते है।

इस उद्योग को कच्चे माल पर आधारित न होने के करण इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को फुटलुज(Foot Loose) उद्योग कहते है।

इससे जुडी अर्थव्यवस्था को ज्ञान अर्थव्यवस्था भी कहते है।

ii. तैयार वस्त्र एवं पोशाक उद्योग

यह उद्योग भारत में हल्के उद्योग के रूप में पूरे देश में फैला हुआ है। लेकिन बड़े केंद्रों में लखनऊ ,लिधियाना ,कोलकाता ,जयपुर सूरत ,मऊ आदि प्रमुख है।

होजियरी एवं रेडिमेड वस्त्र उद्योग के लिए मेरठ ,मुरादाबाद ,आगरा ,मथुरा आदि विख्यात है।

iii. सौंदर्य प्रसाधन उद्योग

सौंदर्य प्रसाधन के लिए भारत प्राचीन समय से ही प्रसिद्ध रहा है। इसके अंतर्गत साबुन ,तेल ,पाउडर ,कृत्रिम ज्वेलरी आदि आते है। यह उद्योग भी भारत में सभी जगह फैले हुए है,लेकिन कुछ विशेष वस्तु के लिए विशेष केंद्र प्रसिद्ध है।

जैसे :-इत्र के लिए जौनपुर ,खुसबूदार तेल के लिए कन्नौज ,अच्छे किस्म के साबुन के लिए मुंबई ,पुणे आदि ,चन्दन पर आधारित सौंदर्य मैसूर नगरी को ख्याति प्राप्त है।

iv. खिलौना उद्योग

खिलौना उद्योग भारत में काफी लोगों को रोजगार सृजन करता था ,लेकिन चीन और जापान के इलेक्ट्रॉनिक खिलौने के आयात से इस उद्योग में काफी कमी आया है। लेकिन आज भी यह उद्योग भारत के कई शहरों में विकसित है इसमें शिवकाशी ,बनारस ,कोलकाता ,दिल्ली ,भोपाल आदि प्रमुख है।

*वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

वैश्वीकरण से स्वदेशी उद्योगों और विशेषकर लघु एवं कुटीर उद्योगों पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है।

*वैश्वीकरण :-वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना।

या,प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ बिना किसी प्रतिबंध के पूंजी ,तकनीकी एवं व्यापारिक आदान-प्रदान ही वैश्वीकरण है।

*उदारीकरण(Liberalisation) :-इसमें उद्योग तथा व्यापार पर लगे अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करके अधिक प्रतियोगी बनाना है।

*निजीकरण(Privatisation) :-यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे, क्षेत्र या उद्योग को सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाता है।

*बहुराष्ट्रीय कम्पनी :-ऐसी कम्पनी जो किसी एक देश में स्थित मुख्यालय से अनेक देशों में उत्पादन और सेवाओं का नियंत्रण करती है।

उद्योगों चार प्रकार के प्रदूषण वायु ,जल ,भूमि और ध्वनि को पैदा किया है।

प्रदूषण फैलाने वाले पॉँच मुख्य उद्योग :-चर्म उद्योग ,तेलशोधक उद्योग ,पेपर उद्योग ,कोयला-डीजल आधारित उद्योग ,धातु उद्योग

एक मनुष्य प्रतिदिन 23000 बार साँस लेता है और के द्वारा मनुष्य प्रतिदिन 35 गैलन व 16 kg ऑक्सीजनयुक्त वायु का सेवन करता है।

*भोपाल गैस त्रासदी :-यह एक घटना थी जो 3 दिसंबर 1984 को मध्य प्रदेश के भोपाल में घटित हुआ था। जहाँ खाद और कीटनाशक बनानेवाली यूनियन कार्बाइड नामक फैक्ट्री में मिथाइल आयसो सायनेट नामक गैस के रिसाव होने लगा जिससे 500 लोग मौत के शिकार हो गए।

जमशेदपुर को भारत का बर्मिघंम कहा जाता है।

कार्बन मोनो ऑक्साइड(Co) को दमघोंट गैस भी कहते है।

सल्फर डाइऑक्साइड से आँख में जलन ,दमा,खांसी ,सर में दर्द ,चक्कर आना जैसी परेशानियाँ होती है। 

BHEL:-भारत हैवी इलेक्ट्रीक लिमिटेड

SAIL :-स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया

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