*चिन्ह परिपाटी :-किसी गोलीय दर्पण में वस्तु की प्रकृति बतलाने के लिए जिस पाटी का प्रयोग किया जाता है ,उसे चिन्ह परिपाटी कहते है |
*गोलीय दर्पण के ध्रुव मुल बिंदु के भांति कार्य करता है |
*ध्रुव से दायें और की दुरी सदैव धनात्मक (+) होती है |
*ध्रुव से वायें और की दुरी सदैव ऋणात्मक (-) होती है |
* ध्रुव से ऊपर की दुरी सदैव धनात्मक (+) होती है |
*ध्रुव से निचे की ओर दुरी सदैव ऋणात्मक (-) होती है |
*गोलीय दर्पण के ध्रुव मुल बिंदु के भांति कार्य करता है |
*ध्रुव से दायें और की दुरी सदैव धनात्मक (+) होती है |
*ध्रुव से वायें और की दुरी सदैव ऋणात्मक (-) होती है |
* ध्रुव से ऊपर की दुरी सदैव धनात्मक (+) होती है |
*ध्रुव से निचे की ओर दुरी सदैव ऋणात्मक (-) होती है |
अवतल दर्पण में चिन्ह परिपाटी का उपयोग :-
(i)अवतल दर्पण की फोकस दुरी (F),वक्रता त्रिज्या (R) तथा वस्तु की दुरी सदैव ऋणात्मक(-) होती है |
(ii)अवतल दर्पण की प्रतिबिम्ब की दुरी धनात्मक(+) तथा ऋणात्मक(-) दोनों ही होती है |
(iii)अवतल दर्पण में वस्तु की ऊंचाई 'h' तथा प्रतिबिम्ब की ऊंचाई h' होती है |
उत्तल दर्पण में चिन्ह परिपाटी का उपयोग :-
*उत्तल दर्पण की फोकस दुरी,वक्रता त्रिज्या तथा वस्तु की दुरी सदैव धनात्मक(+) होती है |
*उत्तल दर्पण की प्रतिबिम्ब की दुरी धनात्मक(+) होती है |
*उत्तल दर्पण में भी वस्तु की ऊंचाई 'h' तथा प्रतिबिम्ब की ऊंचाई h' होती है |
F:-फोकस दुरी
R:-वक्रता त्रिज्या
U:-वस्तु की दुरी
V:-प्रतिबिंब की दुरी
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