प्रकाश का अपवर्तन(Refraction of light)
:⇒जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो अपने पथ से विचलित हो जाता है ,तो उसे प्रकाश का अपवर्तन कहते है |
*प्रकाश के अपवर्तन के मुख्यतः दो नियम होते है |
(i)आपतित किरण,अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर डाले गए अभिलम्ब तीनों एक ही तल पर होते है |
(ii)आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r)के अनुपात को प्रकाश के अपवर्तन के दूसरा नियम कहा जाता है |
➧इसे μ द्वारा सूचित किया जाता है |
अर्थात , μ =sin i / sin r
Note :-(i)प्रकाश के अपवर्तन के दूसरे नियम को स्नेल का नियम भी कहा जाता है | क्योकि इस नियम के खोजकर्ता स्नेल नमक वैज्ञानिक थे |
(ii)इस नियम का खोज स्नेल नमक वैज्ञानिक ने 1621 ई० में किये थे |
*माध्यम दो है :-
(i)सघन माध्यम(Intensive medium):-जिस माध्यम में प्रकाश की चाल काम होती है तो उस माध्यम को सघन माध्यम कहते है |
या, जिस माध्यम का अपवर्तनांक अधिक होती है तो उसे सघन माध्यम कहते है |
जैसे :-हवा के सापेक्ष काँच सघन माध्यम होते है |
(ii)विरल माध्यम(Rare medium):-जिस माध्यम में प्रकाश की चाल ज्यादा होती है तो उस माध्यम को वायरल माध्यम कहते है |या ,जिस माध्यम का अपवर्तनांक काम होती है तो उसे विरल माध्यम कहते है |
*जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो अपवर्तन की घटना :-
➤जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो अपवर्तित किरण अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है |
➤आपतन कोण (ㄥi) का मान अपवर्तन कोण (ㄥr)के मान से बड़ी होती है |
अर्थता , ㄥi > ㄥr
➤निर्वात में प्रकाश की चाल =2.9979 × 108 m/s
पानी में प्रकाश की चाल =2.25 × 108 m/s
काँच में प्रकाश की चाल =2 ×
108 m/s
हवा में प्रकाश की चाल तथा निर्वात में प्रकाश की चाल लगभग समान होती है तो इसलिए हवा या निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 108 m/s का प्रयोग किया जाता है |*जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो अपवर्तन की घटना :-
➤जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है |
➤आपतन कोण ㄥi का मान तथा अपवर्तन कोण ㄥr की मान से छोटी होती है |
अर्थता , ㄥi < ㄥr
*जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है | और दसरे माध्यम से पुनः अपने माध्यम में बहार निकल जाती है ,तो अपवर्तन की घटना :-
*निर्गत किरण(Output beam) :-जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है और दूसरे माध्यम से पुनः अपने ही माध्यम में बाहर निकल जाती है तो उस किरण को निर्गत किरण कहते है |
*निर्गत कोण :-निर्गत किरण तथा अभिलम्ब के बिच बने कोण को निर्गत (विचलन)कोण कहते है
इसे (e) द्वारा सूचित किया जाता है |
*पाश्र्व विस्थापन(Lateral displacement):-आपतित किरण तथा निर्गत किरण की बिच की लम्बत दुरी को पाश्र्व विस्थापन कहते है |
इसे 'd' द्वारा सूचित करते है |
➨आपतन कोण तथा निर्गत कोण सदैव आपस में बराबर होते है |
अर्थात ,आपतन कोण =निर्गत कोण
ㄥi = ㄥe
*निर्गत किरण(Output beam) :-जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है और दूसरे माध्यम से पुनः अपने ही माध्यम में बाहर निकल जाती है तो उस किरण को निर्गत किरण कहते है |
*निर्गत कोण :-निर्गत किरण तथा अभिलम्ब के बिच बने कोण को निर्गत (विचलन)कोण कहते है
इसे (e) द्वारा सूचित किया जाता है |
*पाश्र्व विस्थापन(Lateral displacement):-आपतित किरण तथा निर्गत किरण की बिच की लम्बत दुरी को पाश्र्व विस्थापन कहते है |
इसे 'd' द्वारा सूचित करते है |
➨आपतन कोण तथा निर्गत कोण सदैव आपस में बराबर होते है |
अर्थात ,आपतन कोण =निर्गत कोण
ㄥi = ㄥe
➨आपतित किरण तथा निर्गत किरण सदैव एक-दूसरे के समानांतर होती है |
पाश्र्व विस्थापन के गुण :-
(i)पाश्र्व विस्थापन काँच स्लैब के मोटाई का सीधा समानुपाती होता है |
(ii)पाश्र्व विस्थापन आपतन कोण का सीधा समानुपाती होता है
(iii)पाश्र्व विस्थापन काँच स्लैब के अपवर्तनांक का सीधा समानुपाती होता है |
(iv)पाश्र्व विस्थापन आपतित किरण के तरंगदैर्य का व्युत्क्रमानुपाती होता है |
Q. पानी में डूबी हुई पेंसिल मुड़ी हुई नजर क्यों पड़ती है ?
⇒
पेंसिल की नोख से आ रही प्रकाश की किरणे सघन माध्यम से विरल माध्यम करती है ,तो अपवर्तित किरण को उसके विपरीत दिशओं में ले जाने पर एक दूसरे को किसी बिंदु पर कटती हुई प्रतीत होती है तो उसी बिंदु पर वस्तु का प्रतिबिंब बनता है | यही कारन है की छड़ ,पेंसिल मुड़ी हुई दिखाई पड़ता है |
जैसे की चित्र में दिखाया गया है |
*प्रकाश के अपवर्तन के प्रमुख गुण :-
(i)पानी में डूबी हुई पेंसिल या छड़ी मुड़ी एवं छोटी दिखाई देता है |
(ii)अक्षरों के ऊपर काँच के टुकड़ा रखकर देखने पर उसका उठा हुआ प्रतीत होना |
(iii)मछुआरों को मछली भेदने में कठिनाई होना |
*अपवर्तनांक :-शून्य में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को अपवर्तनांक कहते है |
या,
(i)पाश्र्व विस्थापन काँच स्लैब के मोटाई का सीधा समानुपाती होता है |
(ii)पाश्र्व विस्थापन आपतन कोण का सीधा समानुपाती होता है
(iii)पाश्र्व विस्थापन काँच स्लैब के अपवर्तनांक का सीधा समानुपाती होता है |
(iv)पाश्र्व विस्थापन आपतित किरण के तरंगदैर्य का व्युत्क्रमानुपाती होता है |
Q. पानी में डूबी हुई पेंसिल मुड़ी हुई नजर क्यों पड़ती है ?
⇒
पेंसिल की नोख से आ रही प्रकाश की किरणे सघन माध्यम से विरल माध्यम करती है ,तो अपवर्तित किरण को उसके विपरीत दिशओं में ले जाने पर एक दूसरे को किसी बिंदु पर कटती हुई प्रतीत होती है तो उसी बिंदु पर वस्तु का प्रतिबिंब बनता है | यही कारन है की छड़ ,पेंसिल मुड़ी हुई दिखाई पड़ता है |
जैसे की चित्र में दिखाया गया है |
*प्रकाश के अपवर्तन के प्रमुख गुण :-
(i)पानी में डूबी हुई पेंसिल या छड़ी मुड़ी एवं छोटी दिखाई देता है |
(ii)अक्षरों के ऊपर काँच के टुकड़ा रखकर देखने पर उसका उठा हुआ प्रतीत होना |
(iii)मछुआरों को मछली भेदने में कठिनाई होना |
*अपवर्तनांक :-शून्य में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को अपवर्तनांक कहते है |
या,
*अपवर्तनांक:-किन्ही दो माध्यमों में आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या के अनुपात एक नियतांक होती है ,उसे अपवर्तनांक कहते है |
➨अपवर्तनांक को 'μ' या 'v' द्वारा सूचित किया जाता है |
*यदि दो माध्यम हवा और काँच हो और प्रकाश कि किरण हवा से काँच में प्रवेश करे तो हवा में आपतन कोण की ज्या sin i तथा काँच में अपवर्तन कोण की ज्या sin r
अपवर्तनांक=sin i / sin r = aμg या μag
➨अपवर्तनांक को 'μ' या 'v' द्वारा सूचित किया जाता है |
*यदि दो माध्यम हवा और काँच हो और प्रकाश कि किरण हवा से काँच में प्रवेश करे तो हवा में आपतन कोण की ज्या sin i तथा काँच में अपवर्तन कोण की ज्या sin r
अपवर्तनांक=sin i / sin r = aμg या μag
➨चुँकि दोनों माध्यमों का समान राशियों के अनुपात होते है ,इसलिए अपवर्तंनाक का कोई मात्रक नहीं होता है |
➨अपवर्तनांक कभी भी आपतन पर निर्भर नहीं करता है |
➨अपवर्तनांक पदार्थ के प्राकृति तथा प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है |
➨भिन्न-भिन्न पदार्थो का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होता है |
➨अपवर्तनांक कभी भी आपतन पर निर्भर नहीं करता है |
➨अपवर्तनांक पदार्थ के प्राकृति तथा प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है |
➨भिन्न-भिन्न पदार्थो का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होता है |
पदार्थ का नाम अपवर्तनांक
हवा........................................⟹1.0003
वर्फ.........................................⟹1.31
पानी....................................... ⟹1.33
अल्कोहल .............................⟹1.36
किरोसिन.............................. ⟹1.44
बेंजीन ..................................⟹1.50
क्राउन काँच..........................⟹1.52
फिलन्ट काँच .......................⟹1.65
Co2 ...................................⟹1.63
हिरा ...................................⟹2.42
तारपीन का तेल...................⟹1.47
कैनाडा बालसम................. ⟹1.53
खनिज साल्ट........................⟹1.54
रूबी(माणिक्य)...................⟹1.71
नीलम ................................⟹1.77
हवा का अपवर्तनांक =1.0003
⟹हिरा का अपवर्तनांक सबसे ज्यादा होता है |
हिरा का अपवर्तनांक = 2.42
लेंस (Lens)
:-दो पारदर्शी सतहों से घिरे हुए भाग को लेंस कहते है |
⇒लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है |
(i)उत्तल लेंस (ii)अवतल लेंस
⇒लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है |
(i)उत्तल लेंस (ii)अवतल लेंस
(i)उत्तल लेंस(convex lens) :-वैसा लेंस जिसकी बीच की सतह मोटी हो तथा किनारे की सतह पतली हो तो उसे उत्तल लेंस कहते है |
जैसे :-
(ii)अवतल लेंस(Concave lens) :-वैसे लेंस जिसकी बीच की सतह पतली हो तथा किनारे की सतह मोटी हो तो उसे अवतल लेंस कहते है |
जैसे :-
➤उत्तल लेंस को अभ्सारी लेंस भी कहा जाता है |
➤अवतल लेंस को अपसारी लेंस भी कहा जाता है |
*उत्तल लेंस मुख्यतः तीन प्रकार के होते है |
(i)उभयोत्तल (ii)समतलोतल (iii)अवतलोत्तल
(i)उभयोत्तल :-वैसे लेंस जिसका दोनों का दोनों तल उत्तल हो तो वैसे लेंस को उभयोत्तल लेंस कहते है
जैसे :-
(ii)समतलोतल:-वैसे लेंस जिसका एक सतह समतल हो तथा दूसरा तल उत्तल हो तो उसे समतलोतल लेंस कहते है |
जैसे :-
(iii)अवतलोत्तल :-वैसे लेंस जिसका एक सतह अवतल तथा दूसरा उत्तल हो तो उसे अवतलोत्तल कहते है |
जैसे :-
*अवतल लेंस मुख्यतः तीन प्रकार के होते है |
(i)उभयावतल (ii)समतलावतल (iii)उत्तलावतल
(i)उभयावतल:-वैसे लेंस जिसका दोनों का दोनों तल अवतल हो,उभयावतलकहलाता है |
जैसे :-
(ii)समतलावतल:-वैसे लेंस जिसका एक तल समतल तथा दूसरा तल अवतल हो ,समतलावतल कहलाता है |
जैसे :-
(iii)उत्तलावतल:-वैसे लेंस जिसका एक तल उत्तल तथा दूसरा तल अवतल हो ,उत्तलावतल कहलाता है |
जैसे :-
*लेंस में भाग लेने वाले प्रमुख तथ्य :-
(i)वक्रता केंद्र :-लेंस जिस गोले का बना होता है तो उस गोले के केंद्र को वक्रता केंद्र कहते है |
लेंस में वक्रता केंद्र दो होते है जिसे c1 तथा c2 द्वारा या 2f1 या 2f2 द्वारा सूचित किया जाता है |
(ii)मुख्य अक्ष :-वक्रता केंद्रों को मिलाने वाली रेखा को मुख्य अक्ष कहते है |
(iii)द्वारक या लेंस का व्यास :-लेंस की लम्बाई को द्वारक कहते है |
(iv)प्रकाशीय केंद्र :-द्वारक के मध्य बिंदु को प्रकाश केंद्र कहते है|
या , लेंस का वह बिंदु जिसे प्रकाश के अपवर्तन के बाद अपने पथ पर सीधे गुजर जाती है |
(v)वक्रता त्रिज्या :-लेंस में वक्रता केंद्र तथा प्रकाशीय केंद्र की बिच की दुरी को वक्रता त्रिज्या कहते है |
➤लेंस में वक्रता त्रिज्या दो होते है :- R1 तथा R2
➤दोनों आपस में R1 = R2 या R1 ≠ R2 हो सकते है |
(vi)मुख्य फोकस :-लेंस में मुख्य अक्ष के समान्तर आ रही प्रकाश की किरणे लेंस से अपवर्तन होने के बाद प्रधान अक्ष को जिस बाँध पर कटती है या कटती हुई प्रतीत होती है तो उसे मुख्य फोकस कहते है |
➤उत्तल लेंस की मुख्य फोकस वास्तविक होती है क्योकि उत्तल लेंस से प्रकाश अपवर्तन होकर प्रधान अक्ष को वास्तविक कटान से कटती है |
➤अवतल लेंस की मुख्य फोकस काल्पनिक होती है क्योकि अवतल लेंस से प्रकाश की किरण अपवर्तन होकर मुख्य फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती है |
(vii)फोकस दुरी :-मुख्य फोकस तथा प्रकाशीय केंद्र के बीच की दुरी को फोकस दुरी कहते है |
इसे f द्वारा सूचित किया जाता है |
*लेंस में प्रकाश का अपवर्तन
(1)जब प्रकाश की किरण मुख्य अक्ष के समानंतर आपतित होती है |
⇒जब प्रकाश की किरण मुख्य अक्स के समान्तर आपतित होती है तो लेंस से अपवर्तन होने के बाद मुख्य फोकस से होकर गुजर जाती है या मुख्य फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती है |
जैसे :-
➤उत्तल लेंस में मुख्य फोकस से गुजर जाती है |
➤अवतल लेंस में मुख्य फोकस से निकलती हुई प्रतीत होती है |
(2)जब प्रकाश की किरण मुख्य फोकस से आपतित होती है |
⇒जब प्रकाश की किरण मुख्य फोकस से आपतित होती है ,जो लेंस से अपवर्तन होने के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर गुजर जाती है |
जैसे :-
➤चाहे तो लेंस अवतल हो या उत्तल सदैव अपवर्तित किरण मुख्य अक्ष के समांतर जाती है |
(3)जब प्रकाश की किरण प्रकाशीय केंद्र से गुजर जाती है |
⇒जब प्रकाश की किरण प्रकाशीय केंद्र से जिस पथ पर आती है उसी पथ पर बिना विचलन के गुजर जाती है |
जैसे :-
*उत्तल लेंस में वस्तु का प्रतिबिंब बनना
1. जब वस्तु प्रकाशीय केंद्र (o) तथा F1 के बीच राखी जाती है :-
➤जब वस्तु प्रकाशीय केंद्र (o) तथा F1 के बीच राखी जाती है तो वस्तु का प्रतिबिंब लेंस के आगे बनता है |
➤इसकी प्रकृति काल्पनिक होती है |
➤प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार से बड़ा बनता है |
➤प्रतिबिंब मुख्य फोकस (F1) तथा वक्रता केंद्र (2F1) के बिच बनता है |
➤जब वस्तु को मुख्य फोकस (f) जाती है तो वस्तु का प्रतिबिंब लेंस के पीछे बनता है |
➤इसकी प्रकृति वास्तविक होती है |
➤प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार से बहुत बड़ा बनता है
➤प्रतिबिंब अंनत पर बनती है |
3. जब वस्तु को वक्रता केंद्र 2F तथा मुख्य फोकस (F1) के बिच रखी जाती है |
➤ जब वस्तु को वक्रता केंद्र 2F तथा मुख्य फोकस (F1) के बिच रखी जाती है तो वस्तु का प्रतिबिंब अंनत पर बनता है |
➤इसकी प्रकृति वास्तविक बनती है |
➤प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार से बड़ा बनता है |
4. जब वस्तु को वक्रता केंद्र (2F1) पर रखी जाती है |
➤जब वस्तु को वक्रता केंद्र (2F1) पर रखी जाती है तो वस्तु का प्रतिबिंब वक्रता केंद्र (2F2) पर ही बनता है |
➤इसकी प्रकृति वास्तविक बनती है |
5. जब वस्तु को अनंत तथा 2F1 के बिच रखा जाता है |
➤जब वस्तु को अनंत तथा 2F1 के बिच रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब (F1) तथा (2F1) के बिच बनता है|
➤इसकी प्रकृति वास्तविक बनती है |
6. जब वस्तु को अनंत पर रखा जाता है :-
➤जब वस्तु को अनंत पर रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब F2 पर बनता है |
➤इसकी प्रकृति वास्तविक बनती है |
*अवतल लेंस में प्रतिबिंब बनना
1. जब वस्तु को अनंत पर रखा जाता है |
➤जब वस्तु को अनंत पर रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिंब मुख्य फोकस (F1) पर बनता है |
➤इसकी प्रकृति काल्पनिक होती है |
2. जब वस्तु अनंत और प्रकाशीय केंद के बीच रखा जाता है :-
➤जब वस्तु अनंत और प्रकाशीय केंद के बीच रखा जाता है तो वस्तु का प्रतिबिम्ब (F1) तथा o के बीच भान्मता है |
➤इसकी प्रकृति काल्पनिक होती है |
*लेंस सुत्र :-किसी भी लेंस में वस्तु की दुरी (u) प्रतिबिंब (v)तथा फोकस दुरी (f)के बीच जो सबंध होता है तो उस सबंध को लेंस सुत्र कहते है |
*अवतल या उत्तल लेंस का सुत्र
⇒1/F=1/V-1/U
हल:-
*आवर्धन :-लेंस में पप्रतिबिंब की उचाई h1 तथा वस्तु की ऊंचाई h के अनुपात को आवर्धन कहते है |
अर्थात ,
आवर्धन = प्रतिबिंब की उचाई /वस्तु की उचाई
m = h1 /h या v/u
➤लेंस की क्षमता फोकस दुरी के व्युत्क्रम होता है और इसे P द्वारा सूचित किया जाता है |
अर्थात ,लेंस क्षमता = 1/फोकस
➤लेंस की क्षमता का S .I मात्रक डिऑप्टर होता है ,इसे D द्वारा सूचित किया जाता है |
अर्थात ,किसी भी स्थिति में यदि फोकस दुरी मीटर मात्रक से भिन्न हो तो सबसे पहले उस मात्रक को मीटर में बदल लेंगे |
➤अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है ,क्योकि अवतल लेंस की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है |
➤उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक होती है,क्योकि उत्तल लेंस की फोकस दुरी धनात्मक होती है |
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