अम्ल ,भस्म तथा लवण
अम्ल
(Acid):-अम्ल का लैटिन शब्द एसिड्स
होता है ,जिसका अर्थ खट्टा होता है |
*अम्ल :-वैसा पदार्थ जो जल में घुलकर
हाइड्रोजन आयन (H+)देती है उसे अम्ल कहते है |
जैसे
:-
*अम्ल के समान्य गुण :-
(i)अम्ल स्वाद में खट्टा होता
है |
(ii)यह धातु से अभिक्रिया कर
हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है |
(iii)अम्ल का PH मान 7 से कम होती है |
*अम्ल के प्रकार(Type of Acid)
→इन्हे दो भागों में बाँटा
गया है |
(i)जल में विघटित होकर
हाइड्रोनियम आयन देने वाला पदार्थ
(ii)जल से अभिक्रिया कर
हाइड्रोनियम आयन देने वाला पदार्थ
(i)जल में विघटित होकर
हाइड्रोनियम आयन देने वाला पदार्थ:- वैसा अम्ल (HCl)को जल में घोलने पर हाइड्रोजन आयन देती है और
जिसमे जल के एक अणु मिलाने पर हाइड्रोनियम आयन में परिवर्तित हो जाता है |
जैसे
:-
(ii)जल से अभिक्रिया कर
हाइड्रोनियम आयन देने वाला पदार्थ :-कुछ ऐसे पदार्थ है जो अधातुओं के ऑक्साइड से
अभिक्रिया कर सीधे रूप से हाइड्रोनियम आयन देती है ,उस पदार्थ को हाइड्रोनियम आयन देने वाले पदार्थ
कहते है |
जैसे
:-
→अम्ल को दो भागो में बाँटा
गया है |
(i)कार्बनिक अम्ल
(ii)अकार्बनिक अम्ल
(i)कार्बनिक अम्ल :-वैसा अम्ल
जिसमे कार्बन की उपस्थिति होती है ,उसे कार्बनिक अम्ल कहते है |
जैसे
:-
(ii)अकार्बनिक अम्ल :-वैसा अम्ल
जिसमें कार्बन की उपस्थिति नहीं होती है ,उसे अकार्बनिक अम्ल कहते है |
जैसे
:- HCl , HN03 , H2SO4
⇒अम्ल को इस प्रकार से भी बाँटा गया है |
(i)ऑक्सी अम्ल
(ii)हाइड्रा अम्ल
(i)ऑक्सी अम्ल:-वैसा अम्ल जिसमे
ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन की उपस्थिति होती है उसे ऑक्सी अम्ल कहते है|
जैसे
:- HN03 , H2SO4 etc
(ii)हाइड्रा अम्ल :- वैसा अम्ल
जिसमे हाइड्रोजन की उपस्थिति होती है और ऑक्सीजन की उपस्थिति नहीं होती है उसे
हाइड्रा अम्ल कहते है |
जैसे
:- HCl,HI,HBr etc
*अम्ल के कुछ समान्य गुण :-
(i)अम्ल स्वाद में खट्टा होते
है |
जैसे
:- पदार्थ
अम्ल
संतरा
+ नींबू सिट्रिक अम्ल
टमाटर
ऑक्जेलिक अम्ल
इमली
टार्टरिक अम्ल
सिरिका
एसिटिक अम्ल
सेब
मैलिक अम्ल
दही
लैक्टिक अम्ल
चींटी
का डंक
फॉर्मिक अम्ल
चाय
टैनिक अम्ल
विटामिन-C
एस्कॉर्बिक अम्ल
(ii)अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल
कर देती है |
(iii)कुछ ऐसे अम्ल होते है जो
कीटाणु नाशक होते है |
जैसे
:-कार्बोलिक अम्ल जिन्हे फिनॉल भी कहा जाता है |
(iv)कुछ ऐसे अम्ल है जो हमारे
जीवन में अधिक उपयोगी है जिससे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ बनाये जाते है |
जैसे
:-सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) का उपयोग बैटरी में किया जाता है | तथा नाइट्रिक अम्ल का उपयोग
खाद तथा विस्फोट सामग्री में किया जाता है |
(v)अम्ल विधुत का सुचालक होता
है |
:-क्योकि अम्लों में हाइड्रोजन
आयन (H+) होती है तथा भिन्न -भिन्न ऋणायन भी होती है | इसलिए यह विधुत का संचालक करता है |
*अम्लों की भस्मयता (Basicity of Acid)
⇒वैसा अम्ल के एक अणु में उपस्थित विस्थापनीय
योग हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या को उस अम्ल की भस्मयता कहा जाता है | इन्हे तीन भागों में बाँटा
गया है |
(i)एकल भस्मयता
(ii)द्वितीय भस्मयता
(iii)तृतीय भस्मयता
(i)एकल भस्मयता:-वैसा
अम्ल जिसमे एक हाइड्रोजन परमाणु की संख्या विस्थापित होती है ,उसे एकल भस्मयता कहते है |
जैसे
:- HCl , HN03 ,HBr
(ii)द्वितीय भस्मयता:-वैसा अम्ल जिसमे
द्वितीय हाइड्रोजन परमाणु की संख्या विस्थापित होती है उसे द्वितीय भस्मयता कहते है |
जैस
:- H2SO4
, H3Po3 (अपवाद में)
(iii)तृतीय भस्मयता:-वैसा अम्ल जिसमे
तृतीय हाइड्रोजन परमाणु की संख्या विस्थापित होती है उसे तृतीय भस्मयता कहते है |
जैसे
:- H3Po3 , H3SO4
अम्लों
का निर्माण
:-अम्लों का निर्माण
निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जाता है |
(i)संश्लेषणात्मक विधि :-इस
विधि में अम्ल तत्वों के सीधे अभिक्रिया से बनाई जाती है |
H2 तथा Cl2 आपस में अभिक्रिया कर प्रकाश
की उपस्थिति में HCl
बनता
है | लेकिन इसमें जल को मिला देने
पर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है |
➤उसी प्रकार सल्फर ऑक्सीजन से
अभिक्रिया कर सल्फर डाइऑक्साइड बनती है | यह सल्फर डाइऑक्साइड फिर ऑक्सीजन से अभिक्रिया
कर सल्फर ट्राइऑक्साइड बनाती है और इसे जल में मिलाने पर सल्फ्यूरिक अम्ल प्राप्त
हो जाता है |
*अम्ल निर्माण के लिए अधातुओं
के ऑक्साइड तथा अम्ल के साथ अभिक्रिया
:-अधातु के ऑक्साइड अम्लीय
होते है और इसे जल में मिलाने पर अम्ल में परिवर्तन कर देता है |
जैसे
:-
:-कुछ अम्ल लवण के साथ
अभिक्रिया करते है तो अम्ल प्राप्त होता है |
जैसे
:-
*अम्ल के रसायनिक गुण
:-अम्ल के निम्नलिखित रसायनिक
गुण है |
(i)अम्ल को धातु के साथ
अभिक्रिया
:-अम्लों को धातु के साथ
अभिक्रिया करते है तो लवण तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है |
जैसे
:-धातु + अम्ल =लवण =H2↑
(ii)अम्लों को धातु के कार्बोनेट
या बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया
:-अम्ल को धातु के कार्बोनेट
या बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कराते है तो लवण ,जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त करती है |
जैसे
:-
(iii)अम्लों को धातु के ऑक्साइड
के साथ अभिक्रिया
:-धातु के ऑक्साइड अम्ल के साथ
अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनती है |
जैसे
:-धातु के ऑक्साइड +अम्ल =लवण +जल
(iv)अधातु के ऑक्साइड को क्षार
के साथ अभिक्रिया
:-अधातु के ऑक्साइड क्षार के
साथ अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनाती है |
जैसे
:-अधातु के ऑक्साइड + क्षार =लवण +जल
*धातु के मलिन सतह को चमकाना
⇒धातु की वस्तुएँ हवा में
उपस्थित गैसों से अभिक्रिया कर वह अपनी सतह पर ऑक्साइड कार्बोनेट आदि के परत बना
लेती है | और इसके वस्तु में चमक
समाप्त हो जाती है | जब इसमें नींबू या कोई अन्य
खट्टे पदार्थ को रगड़ते है तो धातु की चमक वापस आ जाती है | क्योकि धातु के ऑक्साइड
कार्बोनेट एक भस्मीय पदार्थ है ,और नींबू के रस में सिट्रिक अम्ल होता है | यह अम्ल भस्म के साथ
अभिक्रिया कर धातु के सिट्रेट बनाते है जो घुलन शील होते है और यह स्वतः सतह को
छोड़ देते है और उस धातु में चमक आ जाती है |
*सभी अम्लों में हाइड्रोजन
होता है लेकिन सभी हाइड्रोजन युक्त पदार्थ अम्ल नहीं होते है ,क्यों ?
⇒HCl , HN03 , H3SO4 , H3Po3 इत्यादि
के तनु घोल में नीले लिटमस पत्र को डालते है तो ये सभी नीले लिटमस पत्र को लाल कर
देता है तब वे पदार्थ अम्ल कहलाते है | लेकिन ग्लूकोज ,इथेनॉल ,मिथेन ,जल ,अमोनिया इत्यादि पदार्थो में हाइड्रोजन उपस्थित
होते है और इसके विलियन में नीले लिटमस पत्र को डाला जाता है तो कोई प्रभाव नहीं
पड़ता है ,इसीलिए ये अम्ल नहीं कहलाते
है | इस प्रकार हम कह सकते है की
सभी अम्लों में हाइड्रोजन होते है लेकिन सभी हाइड्रोजन युक्त पदार्थ अम्ल नहीं
होते है |
भस्म (Base)
⇒भस्म शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द के एल्कली से
हुई है,जिसका अर्थ पौधे का राख होता
है | भस्म को एल्कली भी कहा जाता
है |
*भस्म :-भस्म वैसा पदार्थ है
जो जल में घुल कर हाइड्रोऑक्साइड आयन देती है उसे भस्म कहते है|
जैसे
:-
*क्षार :-वैसा पदार्थ जो जल
में घुलनशील होता है ,क्षार कहलाता है |
जैसे
:-
अतः हम कह सकते है की सभी
भस्म क्षार नहीं होते है लेकिन सभी क्षार भस्म होते है |
*तनु :-कम सांद्रण वाले भस्म
तनु कहलाते है | और ज्यादा सांद्रण वाले भस्म
सांद्र कहलाते है |
जैसे
:-1L पानी में 20g सोडियम हाइड्रोऑक्साइड घुलते
है तो यह तनु विलियन कहलाता है | लेकिन 1L पानी में 100g सोडियम हाइड्रोऑक्साइडघुलाया
जाता है तो यह सांद्र विलियन कहलाता है |
*भस्म का निर्माण
:-भस्म का
निर्माण निम्लिखित विधियों द्वारा किया जाता है |
(i)धातु और ऑक्सीजन के साथ
अभिक्रिया कर :-जब धातु को ऑक्सीजन के साथ गर्म किया जाता है तो धातु के ऑक्साइड
प्राप्त होते है और धातु के ऑक्साइड में जल को डाला जाता है तो भस्म का निर्माण
होता है |
जैसे
:-
:- वर्ग -I वर्ग -II
हाइड्रोजन बेरेलियम
लिथियम मैगनेशियम
सोडियम कैल्सियम
पोटाशियम सराडियम
रुबिडियम वेरियम
सीजियम रेडियम
फरासियम
➤वर्ग 2 की अपेक्षा वर्ग 1 अधिक क्रियाशील धातु है |
➤ऊपर से निचे की ओर आने पर
धातुओं की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है |
➤जब क्रियाशील धातु को जल के
साथ अभिक्रिया करायी जाती है तो यह धातु के ऑक्साइड बनाते है और धातु के ऑक्साइड भस्मीय गुण वाले होते है |
जैसे
:-
*धातु के कार्बोनेट को गर्म
करके भस्म का निर्माण
किया
जाता है |
:-जब धातु (Zn ,Ca etc)के कार्बोनेट को गर्म किया
जाता है ,जिसके फलस्वरूप धातु के
ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड भस्मीय प्रवृति के होते है |
जैसे
:-
*लवणों को क्षार के साथ अभिक्रिया
:-जब लवण के घोल में सोडियम
हाइड्रोऑक्साइड (क्षार) को घोल में मिलाया जाता है तो धातु के हाइड्रोऑक्साइड
बनाते है जो भस्मीय गुण वाले होते है |
जैसे
:-
*भस्म के समान्य गुण
(i)यह साबुन की तरह चिकनी होती
है |
(ii)यह लाल लिटमस पेपर को नीला
कर देती है |
(iii)भस्म अम्ल के साथ अभिक्रिया
कर लवण तथा
बनती
है ,यह अभिक्रिया उदासीनी करण
कहलाती है |
(iv)भस्म अमोनिया के लवण से
अभिक्रिया कर अमोनिया गैस मुक्त करती है |
जैसे
:-
(v)भस्म का PH मान 7 से अधिक होती है |
*भस्मों की अम्लीयता
⇒किसी भस्म के एक अणु में
विस्थापन योग्य हाइड्रोऑक्साइड की संख्या उस भस्म की अम्लीयता कहलाती है |
जैसे
:- NaOH - 1
Ca(OH)2 - 2
Al(OH)3 -
3
NH4OH - 1
*भस्म के उपयोग
:-भस्म के निम्नलिखित उपयोग है
|
1)सोडियम हाइड्रोक्साइड
(i)सोडियम हाइड्रोक्साइड का
उपयोग साबुन पेपर इत्यादि के उत्पाद में किए जाते है |
(ii)सोडियम हाइड्रोक्साइड का
उपयोग पेट्रोलियम के साधन में किया जाता है |
2)अमोनिया हाइड्रोक्साइड
(i)अमोनिया हाइड्रोक्साइड का
उपयोग प्रयोगशाला में अभिक्रमक के रूप किया जाता है |
(ii)उर्वरक ,रेयॉन ,प्लास्टिक इत्यादि के उत्पाद
में भी किया जाता है |
3)कैल्सियम हाइड्रोक्साइड
(i)कैल्सियम हाइड्रोक्साइड का
उपयोग सीमेंट के उत्पाद में किया जाता है |
(ii)विरंजक चूर्ण के उत्पादन में
किया जाता है |
(iii)मिट्टी की अम्लीयता की दूर
करने में किया जाता है |
(iv)दीवारों पर सफेदी करने के
लिए किया जाता है |
*सूचक(Indicator):-वैसा यंत्र जिससे अम्लीय ,क्षारीय तथा उदासीन घोल में
डालने पर उसके रंग में परिवर्तन की सुचना मिलती है उसे सूचक कहते है |
➤अम्ल और क्षार विधुत के
सुचालक होते है |
*गंधीय सूचक :-वैसे सूचक
जिसके गंध में परिवर्तन होने की सुचना मिलती है उसे गंधीय सूचक कहा जाता है |
जैसे
:-लॉन्ग के तेल ,बैनिला इत्यादि
*pH
Scale :-तनु
घोल की अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन प्रवृति को मापने के लिए जिस यंत्र का प्रयोग
किया जाता है उसे pH
Scale कहते
है |
इस Scale में 0 - 14 का मान होता है |
*शुद्ध जल का pH मान
⇒शुद्ध जल में H + की अणुओं की संख्या होता 10-7 है |
*लवण(Salt):-जब कोई अम्ल ,भस्म के साथ अभिक्रिया करता
है तो लवण तथा जल का निर्माण करता है | वैसी रसायनिक अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया
कहलाती है |
जैसे
:- HCl + NaOH → NaCl + H2O
*लवण का नामकरण
(i)भस्मीय मूलक :-वैसा मूलक जो
धनआयन प्रदर्शित करती है उसे भस्मीय मूलक कहते है |
जैसे
:-
अम्लीय
मूलक :-वैसा मूलक जो ऋणआयन प्रदर्शित करती है उसे अम्लीय मूलक कहते है |
जैसे
:-
➤भस्मीय मूलक में जो तत्व
सम्मलित होते है उसका नाम तत्व का नाम ही रह जाता है |
*लवणों का वर्गीकरण
:-लवणों को मुख्यतः चार भागो
में बाँटा गया है |
(i)समान्य लवण
(ii)अम्लीय लवण
(iii)भस्मीय लवण
(iv)मिश्रित लवण
(i)समान्य लवण :-वैसा लवण जिसमे
अम्ल और भस्म पूर्णतः उदासीन होते है ,समान्य लवण कहलाते है |
इसका pH मान 7 होता है |
(ii)अम्लीय लवण :-वैसा लवण जिसमे
अम्ल अपूर्णतः उदासीन होते है ,अम्लीय लवण कहलाते है |
इसका pH मान 7 से कम होता है |
(iii)भस्मीय लवण :-वैसा लवण जिसमे
भस्म अपूर्णतः उदासीन होते है ,भस्मीय लवण कहलाते है |
इसका pH मान 7 से अधिक होता है |
(iv)मिश्रित लवण :-वैसा लवण
जिसमे दो भिन्न अम्लीय या भस्मीय मूलक होते है ,उसे मिश्रित लवण कहा जाता है|
*लवण बनाने की विधि :-
(i)धातु और अम्ल के साथ
अभिक्रिया
:-जब
कोई धातु अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो लवण का निर्माण करता है तथा
हइड्रोजन गैस मुक्त करता है |
(ii)जब कोई धातु क्षार के साथ
अभिक्रिया :-जब कोई धातु क्षार के साथ अभिक्रिया करता है तो लवण तथा हाइड्रोजन गैस
मुक्त करती है |
(iii)अम्ल और भस्म के साथ
अभिक्रिया :-जब कोई अम्ल ,भस्म के साथ अभिक्रिया करता
है तो लवण तथा जल का निर्माण करता है |
(iv)धातु और अधातु के साथ
अभिक्रिया :-जब कोई धातु ,अधातु के साथ अभिक्रिया करता
है तो लवण का निर्माण करता है |
➤जब कोई अम्ल के ऑक्साइड ,भस्म के ऑक्साइड के साथ
अभिक्रिया करता है तो लवण का निर्माण करता है|
*लवणों के समान्य गुण
(i)लवण उदासीन ,अम्लीय तथा भस्मीय तीनो
प्राकृति में पाए जाते है |
(ii)उदासीन लवण का pH मान 7 होता है |
जैसे
:- NaCl , KCl
(iii)यदि लवण का घोल अम्लीय होता
है तो इसका pH मान 7 से काम होता है |
(iv)यदि लवण का घोल भस्मीय होता
है तो इसका pH मान 7 से अधिक होता है |
(v)जब लवण,अम्ल अभिक्रिया करती है तो नये अम्ल का निर्माण करती है |
(vi)जब कोई लवण ,भस्म के साथ अभिक्रिया करता
है तो नये लवण तथा नये भस्म का निर्माण करता है |
(vii)जब कोई लवण को जल के साथ
अभिक्रिया कराइ जाती है तो लवण की प्राकृतिक उदासीन ,अम्लीय ,भस्मीय होता है |
साधारण नमक का उत्पादन
:-साधारण नमक के मुख्यतः दो
स्रोत है |
(i)समुद्र जल (Common Salt)
(ii)रॉक साल्ट (Rock Salt)
(i)समुद्री जल से नमक का
उत्पादन
*व्यापारिक विधि से
⇒समुद्र के जल में अनेक प्रकार के लवण घुले होते
है और इसमें 35% NaCl
घुला
होता है और इसे तलाबों एवं जलसियों में जमा कर सूर्य के प्रकाश के उपस्थिति में
वाष्पीकरण कराया जाता है तो धीरे-धीरे तालाब के जल वाष्पित होता जाता और नमक रवे
के रूप में रह जाता है और इस रवे को बाहर निकाल लिया जाता है |
भारत में महाराष्ट्र एवं
तमिलनायडु के समुद्री तटों पर साधारण नमक बनाये जाते है |
*प्रयोगशाला में बनाने की
विधि
⇒ प्रयोगशाला में साधारण नमक बनाने के लिए जब
सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)
को
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)के साथ अभिक्रिया कराइ जाती
है ,जिसके फलस्वरूप साधारण नमक
प्राप्त होता है |
(ii)रॉक साल्ट :-रॉक साल्ट नमक
एक प्रकार के खनिज है जिसे हेलाइट के नाम से जाना जाता है |
➤रॉक साल्ट का दूसरा नाम ही
सिंधा नमक है | यह नमक एक खनिज है जिसे
हेलाइट भी कहा जाता है | यह जमीन के अंदर खदानों से निकले जाते है
जँहा खाद्याने अतीत में स्थलीय सागरों के सूखने से बनती है यह छोटे -छोटे रवे के
रूप में प्राप्त होता है | यह प्रायः रंगहीन या सफेद
होते है लेकिन कुछ अशुद्धियों जैसे जिप्सम ,सिल्वाइट आदि के कारण इसका रंग पीला ,नारंगी ,गुलाबी ,भूरा तथा बैगनी हो जाता है |
सिंधा नमक यु०एस० ए० ,कनाडा इत्यादि देशों में बड़े
-बड़े खाने है तथा पाकिस्तान के खेबारा नामक क्षेत्र में बड़े भंडार है तथा हमारे
भारत देश में एक मात्र स्थान हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है | इसका उत्पादन जयपुर स्थित
हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड द्वारा किया जाता है |
*आयोडीनयुक्त नमक (Iodised Salt)
⇒आजकल आयोडीन युक्त नमक काफी जोरो -सोरो पर है ,क्योकि आयोडीन युक्त नमक
हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है क्योकि इसके कमी से थाइराइड से सबंधित बीमारियाँ
होती है |
जैसे
:-घेघा इत्यादि आयोडीन की कमी से होती है |
जब साधारण नमक में पोटैशियम आयोडाइड (KI) या पोटैशियम आयोडेट मिला
देने से आयोडीन युक्त नमक का निर्माण होता है | जिसके सेवन से हमारी शरीर में आयोडीन की कमी
नहीं होती है |
साधारण नमक हमारे उपयोग में लाये जाने वाले
महत्वपूर्ण सामग्रियों से बने यौगिक जैसे :-कास्टिक सोडा ,वाशिंग सोडा ,बेंकिंग सोडा था विरंजक
चूर्ण इत्यादि में होता है |
कॉस्टिक सोडा (NaOH)
⇒जब सोडियम कोलोराइड के संतृप्त वैधुत अपघट कराया जाता है
जिसे एक प्रकार के शेल में डाला जाता है जो लोहा का बना होता है इसकी भीतरी दिवार
पर मरकरी(पारा) की लेप चढ़ी होती है जो कैथोड की तरह काम करता है इसमें इलेक्ट्रोड
के रूप में ग्रेफाइट का छड़ लगे होते है जो एनोड की तरह कार्य करता है | जब विधुत धारा प्रवाहित किया
जाता है तो Cl एनोड पर मुक्त होता है | तथा सोडियम कैथोड पर मुक्त
होता है इस प्रकार सोडियम मरकरी के साथ अभिक्रिया कर सोडियम अमलगम का निर्माण करता
है |
प्राप्त
सोडियम अमलगम में जल को मिलाया जाता है तो सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) का निर्माण होता है |
*कॉस्टिक सोडा के गुण :-
(i)कॉस्टिक सोडा एक सफ़ेद रवादार
ठोस पदार्थ है |
(ii)यह साबुन की तरह चिकनी होती
है |
(iii)यह जल में घुलनशील होते है |
(iv)यह अम्ल से अभिक्रिया कर लवण
तथा जल बनाते है |
(v)यह अमोनिया के लवण के साथ
अभिक्रिया कर अमोनिया गैस का निर्माण करती है |
*कॉस्टिक सोडा का उपयोग :-
(i)धातु से ग्रीस मोविल तैलिय
पदार्थ इत्यादि को हटाने में |
(ii)साबुन तथा अपमार्जक के
उत्पादन में |
(iii)कागज तथा कृत्रिम के फाइवर
के समान
(iv)पेट्रोलियम के शोधन में किया
जाता है |
धोने का सोडा (Washing Soda)
⇒जब सोडियम क्लोराइड के संतृप्त विलियन को
अमोनिया से संतृप्त करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित किया जाता है ,जिसके फलस्वरूप सोडियम
बाइकार्बोनेट का निर्माण होता है |
प्राप्त
सोडियम बाइकार्बोनेट को छान कर ,सुखाकर,गर्म करते है तो सोडियम कार्बोनेट का निर्माण होता है |
इस
प्रकार प्राप्त सोडियम कार्बोनेट को रवा करण किया जाता है तो धोने का सोडा का
निर्माण होता है |
*धोने के सोडा के गुण :-
(i)यह रवेदार ठोस पदार्थ है | तथा यह जल में घुलनशील होते
है |
(ii)
यह
अम्ल के साथ अभिक्रिया कर कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है |
(iii)धोने के सोडा को गर्म करने
पर शुष्क सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है |
*धोने के सोडा का उपयोग :-
(i)वस्त्रो को धोने में किया
जाता है
(ii)प्रयोगशाला में अभकर्मक के
रूप में किया जाता है
(iii)जल का अस्थाई खारापन दूर करने में किया जाता है |
(iii)जल का अस्थाई खारापन दूर करने में किया जाता है |
(iv)कागज ,काँच ,साबुन ,आदि के उत्पादन में किया
जाता है |
खाने का सोडा (बेकिंग सोडा)
⇨जब सोडियम कार्बोनेट के संतृप्त घोल में कार्बन
डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित किया जाता है तो बेकिंग सोडा का निर्माण होता है |
*उत्पादन विधि :-अमोनिया से
संतृप्त सोडियम क्लोराइड के जलीय घोल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित किया
जाता है तो बेकिंग सोडा का निर्माण होता है |
*बेकिंग सोडा का गुण :-
(i)यह सफेद रवादार ठोस पदार्थ
है | यह जल में क्षारीय विलियन
बनाता है |
(ii) इसे गर्म करने पर कार्बन
डाइऑक्साइड गैस मुक्त करती है और यह ........ में परिवर्तित हो जाएगी |
*बेकिंग सोडा का उपयोग :-
(i)इसका प्रयोग खुद बेकिंग
पाउडर बनाने में किया जाता है | जिसमे सोडा और टार्टरिक अम्ल का मिश्रण होता है
इसका उपयोग स्पंज इत्यादि में होता है |
(ii)इसका उपयोग रसोई घर में तथा
अग्निशामक यंत्र में भी किया जाता है | यह कपड़ा ,कागज और चमड़ा उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण
कारक है ,
विरंजक चूर्ण (Bleaching Powder)
⇨जब बुझा चुना को 40・C ताप पर लम्बे समय तक क्लोरीन गैस प्रवाहित किया
जाता है तो इसके फलस्वरूप विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है |
*विरंजक चूर्ण का गुण :-
(i)यह क्लोरीन जैसी गंध वाली
सफेद चूर्ण होती है |
(ii)यह अम्ल के साथ अभिक्रिया कर
क्लोरीन गैस मुक्त करती है |
(iii)अमोनिया हाइड्रॉक्साइड को
विरंजक चूर्ण के साथ गर्म किया जाता है तो नाइट्रोजन गैस निकलती है |
*विरंजक चूर्ण का उपयोग :-
(i)कागज ,कपड़ा को विरंजित करने में
(ii)कीटाणु नाशक के रूप में
(iii)क्लोरोफॉर्म के उत्पादन में
प्लास्टर ऑफ़ पेरिस
⇒जब जिप्सम को 120C या 373K ताप पर गर्म किया जाता है तो
अपना
रवा
जल खो कर सफेद चूर्ण बनता है ,जिसे प्लास्टर ऑफ़ पेरिस कहा जाता है |
*प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का गुण :-
(i)यह सफेद चूर्ण होते है |
(ii)यह जल के साथ तेजी से
अभिक्रिया करता है और जिप्सम का निर्माण करती है |
*प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का उपयोग
:-
(i)मूर्तियाँ ,सजावट के समान ,खिलौने इत्यादि के निर्माण
में किया जाता है |
(ii)दीवारों की सुंदरता बढ़ाने के
लिए ,तथा दरारों को भरने में किया
जाता है |
(iii)टूटी हड्डी को जोड़ने में
किया जाता है |
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