खनिज संसाधन
*खनिज :-प्राकृतिक रूप में उपलब्ध एक समरूप पदार्थ जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है उसे खनिज कहते है।
⇒खनिज संसाधन आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति के आधार स्तंभ है ,भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज मिलते है तथा कुछ खनिजों के उत्पादन एवं भंडार में यह विश्व के अग्रणी देशों में एक है।
➤अभी तक लगभग 2000 से अधिक खनिज की पहचान की जा चुकी है ,जिसमे 30 खनिज आर्थिक दृष्टि महत्वपूर्ण है।
*खनिजों के प्रकार
➠खनिज सामान्यतः दो प्रकार के होते है :-
(1)धात्विक खनिज
(2)अधात्विक खनिज
(1)धात्विक खनिज :-इन खनिजों में धातु होता है।
जैसे:-लौह अयस्क ,तांबा ,मैंगनीज ,निकिल आदि
*धात्विक खनिज का गुण
(i)धात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त होता है।
(ii)ये कठोर एवं चमकीले होते है।
(iii)इन्हे पिट कर तार बनाया जा सकता है।
(iv)ये पीटने पर टूटता नहीं है।
(v)ये प्रायः आग्नेय चट्टानों में मिलते है।
➠धात्विक खनिज को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है :-
(i)लौहयुक्त खनिज :-जिस धात्विक खनिजों में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है वे लौहयुक्त खनिज कहलाते है।
जैसे:-कोबाल्ट ,टंगस्टन ,लौह अयस्क ,आदि
*लौह खनिज के गुण :-
(i)ये रवेदार चट्टानों में पाए जाते है।
(ii)ये धूसर ,स्लेटी ,मटमैला आदि रंग के होते है।
(iii)इसका उपयोग लोहा एवं इस्पात बनाने में किया जाता है।
(ii)अलौहयुक्त खनिज :-जिस धात्विक खनिजों में लोहे का अंश न्यून(कम) होता है या नहीं होता है ,वे अलौहयुक्त खनिज कहलाते है।
जैसे:-टिन ,बॉक्साइट ,सोना ,चांदी ,आदि
*अलौह खनिज का गुण :-
(i)ये सभी प्रकार के चट्टानों में मिल सकते है।
(ii)ये अनेक रंग के हो सकते है।
*अलौह खनिज का गुण :-
(i)ये सभी प्रकार के चट्टानों में मिल सकते है।
(ii)ये अनेक रंग के हो सकते है।
(2)अधात्विक खनिज :-इन खनिजों में धातु नहीं होते है।
जैसे:-पोटाश ,चुना-पत्थर ,अभ्रक ,ग्रेफाइट ,आदि
*अधात्विक खनिज के गुण :-
(i)अधात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त नहीं हो सकता।
(ii)इनकी अपनी चमक होती है।
(iii)इसे पिट कर तार नहीं बनाया जा सकता है।
(iv)इसे पीटने पर चूर-चूर हो जाते है।
(v)ये प्रायः परतदार चट्टानों में मिलते है।
*अधात्विक खनिज के गुण :-
(i)अधात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त नहीं हो सकता।
(ii)इनकी अपनी चमक होती है।
(iii)इसे पिट कर तार नहीं बनाया जा सकता है।
(iv)इसे पीटने पर चूर-चूर हो जाते है।
(v)ये प्रायः परतदार चट्टानों में मिलते है।
➠अधात्विक खनिज को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है :-
(i)कार्बनिक खनिज :-ये पृथ्वी में दबे प्राणी एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते है। इसमें जीवाश्म होते है।
जैसे:-कोयला ,पेट्रोलियम आदि
(ii)अकार्बनिक खनिज :-इसमें जीवाश्म नहीं होते है।
जैसे:-अभ्रक ,ग्रेफाइट आदि
*खनिजों की विषेशताएँ
⇨खनिजों का वितरण असमान होता है ,अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम और कम गुणवत्ता वाले खनिज ज्यादा मात्रा में पाए जाते है।
➤खनिज समाप्य संसाधन है।
⇨खनिजों का वितरण असमान होता है ,अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम और कम गुणवत्ता वाले खनिज ज्यादा मात्रा में पाए जाते है।
➤खनिज समाप्य संसाधन है।
➤खनिज को एक बार उपयोग करने के बाद पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता है।
*खनिजों का वितरण
⇨देश का अधिकांश खनिज निम्नलिखित तीन पटियों में पाई जाती है।
1.उत्तरी पूर्वी पठार :-यह देश की सबसे धनी खनिज पेटी है ,जिसमे छोटानागपुर का पठार ,उड़ीसा का पठार ,छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी आंध्र प्रदेश का पठार अवस्थित है।
➤ इस पेटी में लौह अयस्क ,अभ्रक ,तांबा ,यूरेनियम ,थोरियम आदि का विशाल भण्डार है।
2.दक्षिणी-पश्चिमी पठार :-यह पेटी कर्नाटक के पठार एवं निकटवर्ती तमिलनाडु के पठार पर फैली हुई है।
➤इस पेटी में लौह अयस्क ,मैंगनीज ,बॉक्साइट आदि भारी मात्रा में पाये जाते है।
➤इस पेटी में देश के सभी तीनो सोने की खानें मौजूद है।
3.उत्तर पश्चिम प्रदेश :-इस पेटी का विस्तार खम्भात की खाड़ी से लेकर अरावली की श्रेणियों तक है।
➤यहाँ अनेक अलौह धातुएँ चाँदी ,जस्ता ,सीसा आदि मिलते है।
➤यहाँ ग्रेनाइट ,जिप्सम ,मुल्तानी मिट्टी ,नमक चुना-पत्थर आदि के पर्याप्त भण्डार है।
➤पन्ना मध्य प्रदेश में है जो हीरा के खान के लिए विख्यात है।
⭐हिमालय एक अन्य खनिज पेटी है ,जहाँ तांबा ,सीसा ,जस्ता ,कोबाल्ट आदि प्राप्य है।
*खनिजों का वितरण
⇨देश का अधिकांश खनिज निम्नलिखित तीन पटियों में पाई जाती है।
1.उत्तरी पूर्वी पठार :-यह देश की सबसे धनी खनिज पेटी है ,जिसमे छोटानागपुर का पठार ,उड़ीसा का पठार ,छत्तीसगढ़ का पठार तथा पूर्वी आंध्र प्रदेश का पठार अवस्थित है।
➤ इस पेटी में लौह अयस्क ,अभ्रक ,तांबा ,यूरेनियम ,थोरियम आदि का विशाल भण्डार है।
2.दक्षिणी-पश्चिमी पठार :-यह पेटी कर्नाटक के पठार एवं निकटवर्ती तमिलनाडु के पठार पर फैली हुई है।
➤इस पेटी में लौह अयस्क ,मैंगनीज ,बॉक्साइट आदि भारी मात्रा में पाये जाते है।
➤इस पेटी में देश के सभी तीनो सोने की खानें मौजूद है।
3.उत्तर पश्चिम प्रदेश :-इस पेटी का विस्तार खम्भात की खाड़ी से लेकर अरावली की श्रेणियों तक है।
➤यहाँ अनेक अलौह धातुएँ चाँदी ,जस्ता ,सीसा आदि मिलते है।
➤यहाँ ग्रेनाइट ,जिप्सम ,मुल्तानी मिट्टी ,नमक चुना-पत्थर आदि के पर्याप्त भण्डार है।
➤पन्ना मध्य प्रदेश में है जो हीरा के खान के लिए विख्यात है।
⭐हिमालय एक अन्य खनिज पेटी है ,जहाँ तांबा ,सीसा ,जस्ता ,कोबाल्ट आदि प्राप्य है।
लौह अयस्क (IRON -ORE )
⇒लोहा आधुनिक सभ्यता की रीढ़ है। यह उद्योगों की जननी है। लोहा खान से शुद्ध रूप में नहीं मिलता है ,बल्कि लौह अयस्क के रूप में निकलता है।
➤भारत में पाये जाने वाले लौह अयस्क तीन प्रकार के है :-
i.हेमाटाइट(लाल अयस्क) :- यह लाल,कथई रंग का होता हैं। इसमें लोहांश 68 प्रतिशत पायी जाती हैं।
ii.मैग्नेटाइट(काला अयस्क) :-यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क हैं। इसमें धातु अंश 60 प्रतिशत पायी जाती हैं।
iii.लिमोनाइट(पीला अयस्क) :-इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहांश की मात्रा 40 प्रतिशत पायी जाती हैं।
वितरण :-
⇒भारत में लौह अयस्क प्रायः सभी राज्यों में पाया जाता है ,लेकिन यहाँ कुल भण्डार का 96 प्रतिशत कर्नाटक ,छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,गोवा ,झारखंड राज्यों में सीमित है। शेष भण्डार तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश ,महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों में अवस्थित है।
●कर्नाटक भारत का लगभग एक चौथाई लोहा उत्पन करता है। यहाँ बेल्लारी,हास्पेट ,संदुर आदि क्षेत्रों में लौह अयस्क की खाने है।
●छत्तीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादक राज्य है जो देश करीब 20 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ का अधिकांश लोहा विशाखापट्नम बंदरगाह से जापान को निर्यात किया जाता है।
●उड़ीसा देश का 19 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ की प्रमुख खाने गुरु महिषानी ,बादाम पहाड़ एवं किरीबुरू है।
●गोवा देश का चौथा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य है तथा देश का 16 प्रतिशत लोहा यहीं से प्राप्त होता है।
●झारखण्ड देश का पांचवां बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है और 15 प्रतिशत से अधिक लोहे का उत्पादन करता है। यहाँ के पलामू ,धनबाद ,हजारीबाग ,राँची आदि मुख्य उत्पादक जिले है।
●महाराष्ट्र में लौह अयस्क की खानें चन्द्रपुर ,रत्नागिरी और भंडारा जिलों में स्थित है।
●छत्तीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादक राज्य है जो देश करीब 20 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ का अधिकांश लोहा विशाखापट्नम बंदरगाह से जापान को निर्यात किया जाता है।
●उड़ीसा देश का 19 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ की प्रमुख खाने गुरु महिषानी ,बादाम पहाड़ एवं किरीबुरू है।
●गोवा देश का चौथा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य है तथा देश का 16 प्रतिशत लोहा यहीं से प्राप्त होता है।
●झारखण्ड देश का पांचवां बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है और 15 प्रतिशत से अधिक लोहे का उत्पादन करता है। यहाँ के पलामू ,धनबाद ,हजारीबाग ,राँची आदि मुख्य उत्पादक जिले है।
●महाराष्ट्र में लौह अयस्क की खानें चन्द्रपुर ,रत्नागिरी और भंडारा जिलों में स्थित है।
मैंगनीज अयस्क
⇒मैंगनीज के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में रूस एवं दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरा है। भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत मैंगनीज का उपयोग मिश्र धातु बनाने में किया जाता है।
उपयोग :-
(i)मैंगनीज का उपयोग जंगरोधी इस्पात बनाने तथा लोहा एवं मैंगनीज के मिश्र धातु बनाने के उपयोग में आता है। (ii)इसका उपयोग शुष्क बैटरियों के निर्माण में किया जाता है।
(iii)इसका उपयोग पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में भी किया जाता है।
(iv)इसका उपयोग चमड़ा एवं माचिस उद्योग में भी होता है।
Note:-1 टन इस्पात बनाने में लगभग 10 किलोग्राम मैंगनीज का उपयोग किया जाता है।
वितरण:-
⇒भारत में मैंगनीज का संचित भण्डार 1670 लाख टन है। विश्व में जिम्बाब्वे के बाद भारत में ही मैंगनीज का सबसे बड़ा संचित भण्डार है जो विश्व के कुल संचित भंडार का 20 प्रतिशत है।
➤भारत में उत्पादन का मुख्य क्षेत्र उड़ीसा ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,कर्नाटक ,एवं आंध्र प्रदेश है।
➤भारत का 78 प्रतिशत से ज्यादा मैंगनीज अयस्क का भंडार महाराष्ट्र के नागपुर तथा भण्डारा जिलों से लेकर मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं छिंदबाड़ा जिलों तक फैली हैं।
●उड़ीसा भारत में मैंगनीज के उत्पादन में अग्रणी है ,यहाँ देश के कुल उत्पादन का 37 प्रतिशत मैंगनीज उत्पादन होता है। यहाँ मैंगनीज की मुख्य खदाने सुंदरगढ़ ,कालाहांडी ,रायगढ़ आदि जिलों में है।
●महाराष्ट्र भारत के कुल उत्पादन का लगभग एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन करता है। इस राज्य को मुख्य मैंगनीज उत्पादन पेटी नागपुर तथा भण्डारा जिले में है।
रत्नागिरी में उच्च कोटि के मैंगनीज का उत्पादन होता है।
●मध्य प्रदेश 21 प्रतिशत मैंगनीज पैदाकर देश का तीसरा बड़ा उत्पादक राज्य है।
●कर्नाटक में पहले देश का एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन होता था ,लेकिन अब उत्पादन कम हो रहा है।
●आंध्र प्रदेश में देश के सकल उत्पादन का 6 प्रतिशत ही मैंगनीज का उत्पादन होता है। यहाँ मुख्य उत्पादक जिला श्रीकाकुलम है।
(iii)इसका उपयोग पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में भी किया जाता है।
(iv)इसका उपयोग चमड़ा एवं माचिस उद्योग में भी होता है।
Note:-1 टन इस्पात बनाने में लगभग 10 किलोग्राम मैंगनीज का उपयोग किया जाता है।
वितरण:-
⇒भारत में मैंगनीज का संचित भण्डार 1670 लाख टन है। विश्व में जिम्बाब्वे के बाद भारत में ही मैंगनीज का सबसे बड़ा संचित भण्डार है जो विश्व के कुल संचित भंडार का 20 प्रतिशत है।
➤भारत में उत्पादन का मुख्य क्षेत्र उड़ीसा ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र ,कर्नाटक ,एवं आंध्र प्रदेश है।
➤भारत का 78 प्रतिशत से ज्यादा मैंगनीज अयस्क का भंडार महाराष्ट्र के नागपुर तथा भण्डारा जिलों से लेकर मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं छिंदबाड़ा जिलों तक फैली हैं।
●उड़ीसा भारत में मैंगनीज के उत्पादन में अग्रणी है ,यहाँ देश के कुल उत्पादन का 37 प्रतिशत मैंगनीज उत्पादन होता है। यहाँ मैंगनीज की मुख्य खदाने सुंदरगढ़ ,कालाहांडी ,रायगढ़ आदि जिलों में है।
●महाराष्ट्र भारत के कुल उत्पादन का लगभग एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन करता है। इस राज्य को मुख्य मैंगनीज उत्पादन पेटी नागपुर तथा भण्डारा जिले में है।
रत्नागिरी में उच्च कोटि के मैंगनीज का उत्पादन होता है।
●मध्य प्रदेश 21 प्रतिशत मैंगनीज पैदाकर देश का तीसरा बड़ा उत्पादक राज्य है।
●कर्नाटक में पहले देश का एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन होता था ,लेकिन अब उत्पादन कम हो रहा है।
●आंध्र प्रदेश में देश के सकल उत्पादन का 6 प्रतिशत ही मैंगनीज का उत्पादन होता है। यहाँ मुख्य उत्पादक जिला श्रीकाकुलम है।
बॉक्साइट
⇒यह एक अलौह धातु निक्षेप है जिससे अल्युमिनियम नामक धातु निकाली जाती है। भारत में बॉक्साइट का बड़ा भंडार रहने के कारण हम अल्युमिनियम पर आत्मनिर्भर हो सकते है।
उपयोग :-वायुयान निर्माण ,बर्तन बनाने ,विधुत उपकरण निर्माण ,सफ़ेद सीमेंट आदि बनाने में किया जाता है।
➤भारत में बॉक्साइट का अनुमानित भण्डार 3037 मिलियन टन है।
*वितरण
⇒बॉक्साइट भारत के अनेक क्षेत्रों में मिलता है ,लेकिन मुख्य रूप से इसका भंडार उड़ीसा ,गुजरात ,झारखण्ड ,आदि राज्यों में है।
➤देश का आधा से अधिक बॉक्साइट का भंडार उड़ीसा राज्य में है।
●उड़ीसा भारत के कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। कालाहांडी ,कोरापुट ,संभलपुर आदि बॉक्साइट के मुख्य उत्पादक जिले है।
●गुजरात भारत का 17.35 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करके दूसरे स्थान पर है। जामनगर ,कच्छ ,सूरत आदि महत्वपूर्ण उत्पादक जिले है।
●झारखण्ड बॉक्साइट के उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है,देश का 14 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। राँची ,पलामू आदि मुख्य उत्पादक जिले है।
●महाराष्ट्र देश का 12 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। कोलाबा ,रत्नागिरी तथा कोल्हापुर जिलों में बॉक्साइट का खनन होता है।
●छत्तीसगढ़ भारत का 6 प्रतिशत से अधिक बॉक्साइट उत्पादन करता है। सरगुजा का पठारी प्रदेश ,रायगढ़ तथा विलासपुर जिले उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
➤जम्मू और कश्मीर के पुंछ एवं उधमपुर जिलों में उत्तम कोटि के बॉक्साइट पाए जाते है।
➤भारत विभिन्न देशो को बॉक्साइट निर्यात करता है। मुख्य आयातक देश इटली ,यु०के० जर्मनी एवं जापान है |
●उड़ीसा भारत के कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। कालाहांडी ,कोरापुट ,संभलपुर आदि बॉक्साइट के मुख्य उत्पादक जिले है।
●गुजरात भारत का 17.35 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करके दूसरे स्थान पर है। जामनगर ,कच्छ ,सूरत आदि महत्वपूर्ण उत्पादक जिले है।
●झारखण्ड बॉक्साइट के उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है,देश का 14 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। राँची ,पलामू आदि मुख्य उत्पादक जिले है।
●महाराष्ट्र देश का 12 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है। कोलाबा ,रत्नागिरी तथा कोल्हापुर जिलों में बॉक्साइट का खनन होता है।
●छत्तीसगढ़ भारत का 6 प्रतिशत से अधिक बॉक्साइट उत्पादन करता है। सरगुजा का पठारी प्रदेश ,रायगढ़ तथा विलासपुर जिले उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
➤जम्मू और कश्मीर के पुंछ एवं उधमपुर जिलों में उत्तम कोटि के बॉक्साइट पाए जाते है।
➤भारत विभिन्न देशो को बॉक्साइट निर्यात करता है। मुख्य आयातक देश इटली ,यु०के० जर्मनी एवं जापान है |
तांबा
⇒तांबा एक अति उपयोगी अलौह धातु है। यह बिजली का संचालक है।
उपयोग:- विधुत उपकरण बनाने में ,बर्तन ,सिक्के ,अन्य धातुओं में मिलाकर अनेक सामान आदि बनाने में किया जाता है।
➤भारत में तांबा का अभाव है ,देश में तांबे का कुल भंडार 125 करोड़ टन है।
➤हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड तांबा का खनन एवं प्रगलन का कार्य करती है।
●झारखंड का पू० एवं प० सिंहभूम जिले तांबा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
●राजस्थान के खेतड़ी-सिंघाना भेखला में तांबे का विस्तृत क्षेत्र है।
●मध्य प्रदेश में बालाघाट तथा छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिलों में तांबे की खाने है।
अभ्रक
⇒भारत विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक है। भारत में उत्पादन की दृष्टि से, अभ्रक निक्षेप की तीन पेटियाँ है जो बिहार, झारखण्ड ,आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों के अंतर्गत आती है।
➤भारत में अभ्रक के कुल भण्डार 59065 टन है।
➤बिहार-झारखण्ड में उत्तम कोटि के रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है।
➤सयुंक्त राज्य अमेरिका भारतीय अभ्रक का मुख्य आयातक है।
उपयोग :-इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग ,विधुत उपकरण ,पआयुवेर्दिक दवाओं आदि में किया जाता है।
➤भारत में अभ्रक के कुल भण्डार 59065 टन है।
➤बिहार-झारखण्ड में उत्तम कोटि के रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है।
➤सयुंक्त राज्य अमेरिका भारतीय अभ्रक का मुख्य आयातक है।
उपयोग :-इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग ,विधुत उपकरण ,पआयुवेर्दिक दवाओं आदि में किया जाता है।
चूना-पत्थर
⇒देश का 35 प्रतिशत चूना पत्थर मध्य प्रदेश में पाया जाता है। अन्य उत्पादक राज्यों में उड़ीसा ,बिहार ,झारखंड ,गुजरात ,उत्तर प्रदेश आदि है।
➤भारत के चूना पत्थर का 76 प्रतिशत सीमेंट 16 प्रतिशत लौह इस्पात तथा 4 प्रतिशत रसायन उद्योग में उपयोग किया जाता है। शेष 4 प्रतिशत का उपयोग उर्वरक ,कागज एवं चीनी उद्योगों में होता है।
➤चूना-पत्थर के उत्पादन में अग्रणी राज्य मध्य प्रदेश है।
खनिजों का आर्थिक महत्व :-
⇒खनिज महत्वपूर्ण संसाधन है ,विश्व के बहुत से देशों में खनिज सम्पदा राष्ट्रीय आय के प्रमुख स्रोत बने हुए हैं। किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक उन्नति उसके अपने प्राकृतिक संसाधनों के युक्ति संगत उपयोग करने की क्षमता पर निर्भर करता है।
खनिज ऐसे क्षयशील संसाधन है ,जिन्हे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
खनिजों का संरक्षण :-
खनिजों का संरक्षण :-
⇒खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन है। इसकी मात्रा सीमित है। खनिज उद्योगों का आधार है,लेकिन औद्योगिक विकास के लिए खनिजों का दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्त्व के लिए संकट है। इसीलिए खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है।
➤खनिज संसाधन के विवेक पूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर है :-
(i)खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण
(ii)बचत पूर्वक उपयोग
(iii)कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज
खनिज निर्माण के लिए चक्रिये पद्द्ति को अपनाना प्रबंधन कहलाता है।
(i)खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण
(ii)बचत पूर्वक उपयोग
(iii)कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज
खनिज निर्माण के लिए चक्रिये पद्द्ति को अपनाना प्रबंधन कहलाता है।
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