राज्य एवं राष्ट्र की आय
आय :-जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है और उस कार्य के बदले में जो पारिश्रमिक मिलता है,उसे उस व्यक्ति की आय कहलाता है |
श्रम का पारिश्रमिक-------------------मजदुरी
पूंजी का पारिश्रमिक------------------ब्याज
व्यवस्थापक का पारिश्रमिक----------वेतन
उधमी का पारिश्रमिक----------------लाभ या हानी
➨व्यक्ति को प्राप्त होने वाला आय मुद्रा के रुप मे ,या वस्तुओं के रुप मे भी हो सकता है ।
➨निदेशालय के रिपोर्ट अनुसार 2008 - 09 में भारत के प्रतिव्यक्ति आय 25,494 रूपये है ,जबकि बिहार का प्रतिव्यक्ति आय 2005 - 06 में 6610 रूपये है |
बिहार के कुल 38 जिलों में सर्वाधिक प्रतिव्यक्ति आय पटना एवं न्यूनतम प्रतिव्यक्ति आय शिवहर जिले का है |
➨सर्वाधिक प्रतिव्यक्ति आय वाला राज्य गोवा है |
हम यह जानते है कि गरीबी गरीबी को जन्म देती है । इसी कथन को प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रैगनर नर्क्स ने गरीबी के कुचक्र के रुप मे व्यक्त किया है ।
बिहार कि आय
➨बिहार अत्यंत गरिब एवं पिछडा हुआ राज्य है,योजना आयोग ने मार्च 2009 मे जारी किए गए निर्धनता अनुपात के आकड़े के अनुसार उड़ीसा राज्य बाद बिहार सर्वाधिक गरीब राज्य है |
* बिहार की 41.4 % आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर - बसर करती है |
"बिहार राज्य की प्रतिव्यक्ति आय पूरे देशभर में न्यूनतम है "
➨देश के आय के मानक को निर्धारित करने वाली संस्था डायरेक्टोरेट ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड स्टेटिस्टिक्स कहते है | ➨निदेशालय के रिपोर्ट अनुसार 2008 - 09 में भारत के प्रतिव्यक्ति आय 25,494 रूपये है ,जबकि बिहार का प्रतिव्यक्ति आय 2005 - 06 में 6610 रूपये है |
बिहार के कुल 38 जिलों में सर्वाधिक प्रतिव्यक्ति आय पटना एवं न्यूनतम प्रतिव्यक्ति आय शिवहर जिले का है |
➨सर्वाधिक प्रतिव्यक्ति आय वाला राज्य गोवा है |
राष्ट्रीय आय (National Income)
⇒प्रोo अल्फ्रेड मार्शल के अनुसार "किसी देश की श्रम एवं पूंजी का उसके प्राकृतिक साधनो पर प्रयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समुह उत्पन्न होता है ,उसे राष्ट्रीय आय कहते है |
राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है |
"निष्कर्षतः हम कह सकते है की वर्ष भर में देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहते है "
*शुद्ध राष्ट्रीय आय(Net National Income) :-राष्ट्रीय आय में उत्पादन के क्रम में किये गए खर्च को घटा देने के बाद जो बचता है,उसे शुद्ध राष्ट्रीय आय कहते है |
⇒तीसा के भयानक आर्थिक मंदी से उबरने के नियामक प्रो० केन्स ने राष्ट्रीय आय की धरना को नए सिरे से विचार किया |
इनके अनुसार राष्ट्रीय आय को उपभोक्ता वस्तुओं तथा विनियोग वस्तुओं पर किये गए कुल व्यय के योग के रूप में व्यक्त किया जाता है |
[ Y = C + I ]
जहाँ ,Y = राष्ट्रीय आय (National Income)
C = उपभोग व्यय (Consumption Expenditure)
I = विनियोग (Investment)
*राष्ट्रीय आय की धारणा को हम निम्नलिखित आयामों के द्वारा सपष्ट कर सकते है
(1)सकल घरेलु उत्पाद(Gross Domestic Product-GDP):-किसी देश में किसी दिए हुए वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं की जो कुल मात्रा उत्पादित की जाती है,उसे सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है |
(2)कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादन(Gross National Product-GNP):-किसी देश में एक साल के अंतर्गत जितनी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है ,उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रिय उत्पादन कहते है |
(3) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन(Net National Product-NNP):-कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से कच्चे माल की कीमत,पूंजी की घिसावट एवं मरम्मत पर किये गए व्यय ,कर एवं बीमा का व्यय घटा देने से जो बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन कहते है |
➤प्रसिद्ध अर्थशाश्त्री Dr.V.K.R.V. Rao के द्वारा 1925-29 के बीच में भारत का राष्ट्रीय आय का आँकड़ा सर्वाधिक प्रचलित था।
➤1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO) की स्थापना की। यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्रकाशित करती है।
राष्ट्रीय आय की गणना(Measurement of National Income)
⇒आय वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन ,विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयत्नों का ही परिणाम है। उत्पादन प्रक्रिया के अंतर्गत उत्पादन के साधनों को लगान ,मजदूरी ,ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है।
⇒राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है।
(i)उत्पादन गणना विधि(Census of Production Method)
:-राष्ट्र के व्यक्तियों की आय उत्पादन के माध्यम से अथवा मौद्रिक आय माध्यम से प्राप्त होता है ,इसीलिए इसक गणना जब उत्पादन के योग के द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहा जाता है।
(ii)आय गणना विधि(Census of Income Method)
:-जब राष्ट्र के व्यक्तियों की आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है तो उस गणना विधि को आय गणना विधि कहा जाता है।
(iii)व्यय गणना विधि(Census of Expenditure Method)
:-जब कोई व्यक्ति अपने आय को ,अपने उपभोग के लिए व्यय भी करता है इसीलिए राष्ट्रीय आय की गणना लोगों के व्यय के माप से किया जाता है ,राष्ट्रीय आय की मापने की इस प्रक्रिया को व्यय गणना विधि कहते है।
(iv)मूल्य योग विधि(Census of Value Added Method)
:-उत्पादित की हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किये गए प्रयास बढ़ जाता है ,ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय आय की गणना को मूल्य योग विधि कहते है।
(v)व्यवसायिक गणना विधि(Census of Occupation Method)
:-व्यवसायिक आधार पर की गई गणना को व्यवसायिक गणना विधि कहते है।
Note :-आर्थिक दृष्टिकोण से अर्थशास्त्र में उत्पादन गणना विधि और आय गणना विधि सहज,वैज्ञानिक ,व्यवहारिक तरीका है ,जिसके आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
*राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ(Difficulties in the Measurement of National Income)
⇒राष्ट्रीय आय की गणना करने में अनेक कठिनाइयाँ आती है।
(i)आँकड़ो को एकत्र करने में कठिनाई
(ii)दोहरी गणना की सम्भावना
(iii)मूल्य के मापने में कठिनाई
➤राष्ट्र के विकास के लिए जो भी प्रयास किए जाते है वह राष्ट्र की सीमा क्षेत्र के अंदर रहनेवाले लोगो की उत्पादकता अथवा उनकी आय को बढ़ाने के माध्यम से की जाती है।
➤हमने जाना की राष्ट्रीय आय में केवल उन्ही सेवाओं को शामिल किया जाता है जिन्हे मुद्रा के रूप में आंका जाता है अथवा जिनके लिए भुगतान किया जाता है।
➤भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
(2)कुल या सकल राष्ट्रीय उत्पादन(Gross National Product-GNP):-किसी देश में एक साल के अंतर्गत जितनी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है ,उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रिय उत्पादन कहते है |
(3) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन(Net National Product-NNP):-कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से कच्चे माल की कीमत,पूंजी की घिसावट एवं मरम्मत पर किये गए व्यय ,कर एवं बीमा का व्यय घटा देने से जो बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन कहते है |
भारत का राष्ट्रीय आय
⇒भारत में सबसे पहले 1868ई० में दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय का मनुमान लगाया था | उन्होंने अपनी पुस्तक 'Poverty and Un-British in India' में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 20 रूपये बताया।➤प्रसिद्ध अर्थशाश्त्री Dr.V.K.R.V. Rao के द्वारा 1925-29 के बीच में भारत का राष्ट्रीय आय का आँकड़ा सर्वाधिक प्रचलित था।
➤1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO) की स्थापना की। यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्रकाशित करती है।
राष्ट्रीय आय की गणना(Measurement of National Income)
⇒आय वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन ,विभिन्न साधनों के सामूहिक प्रयत्नों का ही परिणाम है। उत्पादन प्रक्रिया के अंतर्गत उत्पादन के साधनों को लगान ,मजदूरी ,ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है।
⇒राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है।
(i)उत्पादन गणना विधि(Census of Production Method)
:-राष्ट्र के व्यक्तियों की आय उत्पादन के माध्यम से अथवा मौद्रिक आय माध्यम से प्राप्त होता है ,इसीलिए इसक गणना जब उत्पादन के योग के द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहा जाता है।
(ii)आय गणना विधि(Census of Income Method)
:-जब राष्ट्र के व्यक्तियों की आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है तो उस गणना विधि को आय गणना विधि कहा जाता है।
(iii)व्यय गणना विधि(Census of Expenditure Method)
:-जब कोई व्यक्ति अपने आय को ,अपने उपभोग के लिए व्यय भी करता है इसीलिए राष्ट्रीय आय की गणना लोगों के व्यय के माप से किया जाता है ,राष्ट्रीय आय की मापने की इस प्रक्रिया को व्यय गणना विधि कहते है।
(iv)मूल्य योग विधि(Census of Value Added Method)
:-उत्पादित की हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किये गए प्रयास बढ़ जाता है ,ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय आय की गणना को मूल्य योग विधि कहते है।
(v)व्यवसायिक गणना विधि(Census of Occupation Method)
:-व्यवसायिक आधार पर की गई गणना को व्यवसायिक गणना विधि कहते है।
Note :-आर्थिक दृष्टिकोण से अर्थशास्त्र में उत्पादन गणना विधि और आय गणना विधि सहज,वैज्ञानिक ,व्यवहारिक तरीका है ,जिसके आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
*राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ(Difficulties in the Measurement of National Income)
⇒राष्ट्रीय आय की गणना करने में अनेक कठिनाइयाँ आती है।
(i)आँकड़ो को एकत्र करने में कठिनाई
(ii)दोहरी गणना की सम्भावना
(iii)मूल्य के मापने में कठिनाई
➤राष्ट्र के विकास के लिए जो भी प्रयास किए जाते है वह राष्ट्र की सीमा क्षेत्र के अंदर रहनेवाले लोगो की उत्पादकता अथवा उनकी आय को बढ़ाने के माध्यम से की जाती है।
➤हमने जाना की राष्ट्रीय आय में केवल उन्ही सेवाओं को शामिल किया जाता है जिन्हे मुद्रा के रूप में आंका जाता है अथवा जिनके लिए भुगतान किया जाता है।
➤भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।
राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो समाज के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी तथा राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में कमी होने से समाज के आर्थिक विकास में भी कमी होगी।
0 टिप्पणियाँ