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रसायनिक अभिक्रिया

*विभिन्न प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया :-
(i)संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया :-जब दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में क्रिया कर एक नए भिन्न पदार्थ का निर्माण करती है तो उसे संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया कहते है |
        जैसे :-

(ii)पोटैशियम क्लोरेट का अपघटन :-पोटैशियम क्लोरेट को गर्म करने पर वह अपघटित होकर पोटैशियम क्लोराइड बनाता है |
जैसे :-

(iii)वैधुत अपघटन :-जब कोई द्रवित धातु के ऑक्साइड  क्लोराइड में जब विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तो अपघटित होकर धातु कैथोड पर मुक्त होती है और ऑक्साइड तथा क्लोराइड ऐनोड पर मुक्त होती है | ऐसी अभिक्रिया को वैधुत  कहते है |
जैसे :- (a)द्रवित सोडियम क्लोराइड( NaCl)का वैधुत अपघटन :-जब द्रवित NaCl को एक सेल में डालकर विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तो वह अपघटित होकर सोडियम कैथोड पर तथा क्लोरीन ऐनोड पर मुक्त होती है|

 (b)द्रवित ऐलुमिनियम ऑक्साइड का वैधुत अपघटन :-जब द्रवित ऐलुमिनियम को एक सेल में डालकर विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है तो वह अपघटित होकर ऐलुमिनियम कैथोड पर तथा ऑक्सीजन ऐनोड पर मुक्त होती है |
जैसे :-
(iv)एकल विस्थापन अभिक्रिया(Single Displacement):-वैसी रसायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं का समूह किसी दूसरे परमाणु से विस्थापित  है तब उसे एकल विस्थापन अभिक्रिया कहते है|
जैसे :-
(a)कॉपर सल्फेट के विलियन में जब लोहे को डाला जाता है तो कॉपर सल्फेट से कॉपर विस्थापित हो जाता है |
                         लोहा कॉपर की आपेक्षा अधिक क्रियाशील होता है |
जैसे :-
(b)कम क्रियाशील अधातुओं का उसके यौगिकों से विस्थापन
:-
सोडियम ब्रोमाइड के विलियन में क्लोरीन गैस प्रवाहित किया जाता है तो सोडियम क्लोराइड तथा Br2 जिसका विलियन का रंग भूरा हो जाता है |
जैसे :-
पोटैशियम आयोडाइड के विलियन में क्लोरीन गैस प्रवाहित किया जाता है तो KCl तथा I2 जिसका विलियन का रंग बैंगनी हो जाता है |
(c)क्रियाशील धातुओं द्वारा अम्लों से हाइड्रोजन का विस्थापन
:-जैसे :-
सल्फ्यूरिक अम्ल के विलियन में जिंक को डालते है तो हाइड्रोजन विस्थापन हो जाता है |
जैसे :-
जब हाइड्रोजन के विलियन में जिंक को डाला जाता है तो हाइड्रोजन विस्थापन हो जाता है |

ऑक्सीकरण तथा अवकरण अभिक्रिया

(i)ऑक्सीकरण अभिक्रिया(Oxidation Reaction):-वैसी रसायनिक अभिक्रिया जिसमे किसी तत्व या यौगिक से ऑक्सीजन का संयोग तथा हाइड्रोजन का वियोग हो उसे ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते है |
➧इन्हे उपचयन के नाम से भी जानते है |
जैसे :-
(ii)अवकरण अभिक्रिया(Reduction Reaction):-वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमे किसी तत्व या यौगिक से हाइड्रोजन का संयोग तथा ऑक्सीजन का वियोग हो तो उसे अवकरण अभिक्रिया कहते है |
➧इन्हे  अपचयन के नाम से जानते है |
जैसे :-
*रेडॉक्स अभिक्रिया :-वैसी रासायनिक अभिक्रिया जसमें ऑक्सीकरण तथा अवकरण दोनों होते हो ,वैसी अभिक्रिया को रेडॉक्स अभिक्रिया कहते है |

*ऑक्सीकरण :-वैसे पदार्थ जिसमे ऑक्सीकृत करने की क्षमता होती है ,ऑक्सीकरण कहलाती है |
जैसे :-
*अवकरण :-वैसे पदार्थ जिसमे अवकृत ककरने की क्षमता होती है ,अवकारक कहलाती है |
जैसे :-
*उदासीनीकरण अभिक्रिया :-वैसे रसायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई अम्ल ,भस्म के साथ अभिक्रिया कर लवण तथा जल बनती है तब उसे उदासिकरण अभिक्रिया कहते है
                                      अम्ल  +   भस्म  ⟶   लवण + जल
*अवक्षेपण अभिक्रिया :-वैसी अभिक्रिया जिसमे प्रतिफल के विलियन से ठोस पदार्थ के रूप में अलग हो जाते है ,अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाते है |
जैसे :-
*प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया :-वैसी रसायनिक अभिक्रिया जो प्रकाश के अवशोषण करके घटित होती है उसे प्रकाश रसायनिक अभिक्रिया कहते है |
जैसे :-
*दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण और अवकरण का प्रभाव
:-हमारे दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण और अवकरण का निम्नलिखित प्रभाव है |
(1) भोजन का पाचन (Digestion of Food):-जब हम भोजन को ग्रहण करते है तो हमारे शरीर के अंदर ऑक्सीकृत होता है | ऑक्सीकरण के फलस्वरूप ऊष्मा निकलती है | जिससे हमारे शरीर का ताप बरकरार रहती है और हमें बल प्रदान करती हैं |
(2)भोजन का दुर्गधित होना (Rancidity of food):-हम जानते है की ताजे भोजन खुसबूदार भोजन कहलाते है जिसे देखने पर खूब खाने का मन करता है लेकिन भोजन को खुली हवा में लम्बी समय तक छोड़ दिया जाता है तो उसमे दुर्गन्ध पैदा होती है | जब भोजन में उपस्थित वसा(Fat) और तेल (Oil)ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत हो जाता है और भोजन खराब हो जाती है | जिसे वासी भोजन कहते है |
*भोजन को दुषित होने से रोकने का उपाय :-
(i)घरों में रखे फ़्रिजो द्वारा
(ii)भोजन में एंटीऑक्सीडेंट पदार्थ मिलाकर
(iii)भोजन को हावरुद्ध बर्तनों में रखकर
(3)श्वसन की क्रिया :-श्वसन हमरे लिए हर पल हर क्षण जरुरी है यह एक ऑक्सीकरण अभिक्रिया है |
                                      जब हम सांस लेते है तो हमारे शरीर में उपस्थित कोशिका के अणु ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है | श्वसन छोड़ने के क्रम में बाहर निकल है |
(4)दहन की क्रिया :-हमारे दैनिक जीवन में दहन की कई क्रियांए होती है ,जैसे :-जलावन के रूप में लकड़ी ,कोयला ,LPG गैस |

दहन और ज्वाला(Combustion and Flame)

*दहन :-वैसे पदार्थ जो ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाने पर ऊष्मा और प्रकाश देती है वैसी क्रिया को दहन कहते है |
  या ,
         वैसे पदार्थ जिसमे जलने की प्रवृति होती है दहन कहलाती है |
जैसे :-
*अदहनशील या अज्वलनशील :-वैसे पदार्थ जो नहीं जलता है,अदहनशील या अज्वलनशील कहलाता है |
जैसे :-ईंट ,पत्थर इत्यादि
*ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में दहन :-दहन की क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है ,ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में दहन संभव नहीं है |
जैसे :-अगर मोमबत्ती को जलाकर उसे एक बन्द बर्तन में रखा जाये तो वह बुझ जाती है |
*दहन के लिए आवश्यक विशेषताएं :-
:-दहन की क्रिया के लिए तीन विशेषताएं दिए गए है |
(i)दहनशील पदार्थ की उपस्थिति
(ii)दहन के पोषक पदार्थ  उपस्थिति
(iii)ज्वलन ताप की प्राप्ति
*दहनशील पदार्थ की उपस्थिति 
:-हमारे जीवन में अनुभव के आधार पर यह कह सकते है की ईंट ,पत्थर ,मिट्टी इत्यादि को जलाने पर नहीं जलता है इसीलिए इसे अदहनशील पदार्थ कहते है | यदि पेट्रोल ,किरोसिन ,कागज को जलने पर असानी से जल उठता है ,क्योकि ये पदार्थ दहन शील है |
अर्थात , हम कह सकते है की दहन तभी संभव होगा जब की वह पदार्थ दहनशील हो |
*दहन के पोषक पदार्थ  उपस्थिति
:-जब कोई ज्वलन शील पदार्थ को हवा के उपस्थिति में जलाया जाता है तो वह आसानी से जल उठता है | यदि उस पदार्थ को बन्द बर्तन से ढक दिया जाये तो वह बुझ जाती है | इससे यह पता  चलता है की बिना हवा के ये पदार्थ नहीं जल सकते है | इसीलिए यँहा हवा पोषक पदार्थ का कार्य कर रहा है |
*ज्वलन ताप :-जिस तप पर कोई पदार्थ जलना प्रारंभ करती है ,वह ताप उस पदार्थ का ज्वलन ताप कहलाती है|
*ज्वाला (Flame):-जब कोई गैसीय पदार्थ को जलाने पर ताप और प्रकाश उत्पन्न करती है तो उसे ज्वाला कहते है |
➤ज्वाला दो प्रकार के होते है |
(i)दैदीप्यमान ज्वाला (Luminous)
(ii)अदैदीप्यमान ज्वाला (Non Luminous)

(i)दैदीप्यमान:-वैसे ज्वाला जो ताप और प्रकाश देती है ,तो उसे दैदीप्यमान ज्वाला कहते है |
जैसे :-लालटेन
(ii)अदैदीप्यमान:-वैसी ज्वाला जो ताप और प्रकाश नहीं देती है तो उसे अदैदीप्यमान ज्वाला कहते है |
जैसे :-गैस की ज्वाला
*मोमबत्ती की ज्वाला :-मोमबत्ती एक ज्वलन शील पदार्थ है जो ठोस मोम का बना होता है | मोम हाइड्रो कार्बन की मिश्रण होती है | जब हम मोमबत्ती जलाते है तो मोम पिघल जाती है तो बत्ती निकल जाती है और वह वाष्पित होकर दैदीप्यमान ज्वाला के साथ होकर जलता है ,ज्वाला का पीला रंग कार्बन के सूक्ष्म कणों के उपस्थित के कारण होती है |
*मोमबत्ती की ज्वाला की बनाबट

➙मोमबत्ती की ज्वाला में मुख्यतः तीन भाग होते है |
(i)केंद्रीय मंडल (Central Zone)
(ii)प्रकाशमान मंडल (Luminous Zone)
(iii)प्रकाशहीन मंडल (Non Luminous Zone)
(i)केंद्रीय मंडल:-यह नीला रंग का होता है इसमें बिना जले हुए मोम के वाष्प होते रहते है और यह बाटी घेरे रहता है और इसमें दहन की क्रिया नहीं होती है क्योकि वाष्प ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती है | इस भाग में ताप सबसे काम होता है जिन्हे केंद्रीय मंडल कहा जाता है |
(ii)प्रकाशमान मंडल:-इसमें ऑक्सीजन की अप्रर्याप्त मात्रा के कारण मोम के वाष्प का अपूर्ण दहन होता है अतः इसके बीच कार्बन के सूक्ष्म कण उपस्थित होते है |
अर्थात ,यह भाग ज्वाला का सबसे बड़ा भाग कहलाता है | इससे पीला प्रकाश निकलती है ,जिन्हे प्रकाशमान मंडल कहा जाता है |
(iii)प्रकाशहीन मंडल :-इस भाग में मोम के वाष्प का पूर्ण धन होता है ,क्योकि इसमें ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती ही और यह भाग ज्वाला का सबसे गर्म भाग होता है |

द्रवित पेट्रोलियम गैस(LPG)

⟹LPG गैस ब्यूटेन ,प्रोपेन और एथेन का मिश्रण होता है ,लेकिन इसका मुख्य अवयव ब्यूटेन होता है | ब्यूटेन,,प्रोपेन तथा एथेन तेज गति से जलकर अधिक ऊष्मा देती है | इसीलिए LPG गैस को एक अच्छा ईंधन कहा जाता है |

 ➤LPG गैस को लोहे के सिलेंडर में भरकर जलावन के लिए ग्राहक को दिया जाता है जो विशेष प्रकार से बंद रहती है और जब जस निकलती है तो इसे मालूम करने के लिए एथाइल मरकैप्टन की सिलेंडर में डाला जाता है यह गैस ख़राब गंध वाली होती है ,जब गैस लिक करती है तो हमें तुरंत मालूम पड़ता है | 

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