जल संसाधन(Water resources)
⇒(i)जल एक नवीकरण योग्य संसाधन है |
(ii)पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा है,परंतु इसमें प्रयोग में लाने वाला योग्य अलवणीय जल का अनुपात बहुत काम है |
(iii)पृथ्वी के अधिकतर स्तर पर जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को नीला ग्रह (Blue Planet)कहते है |
जल एक नवीकरणीय संसाधन है,फिर भी विश्व के अनेक देश या क्षेत्र जल के प्यासे हैजल के स्रोत :-
⇒यहाँ जल स्रोत विविध रूपों में पाए जाते है |
(i)भू-पृष्ठीय जल
(ii)भूमिगत जल
(iii)वायुमंडलीय जल
(iv)महासागरीय जल
➤महासागर सबसे बड़े जल संग्रहण केंद्र है,इसी कारण इसे 'जलधि' कहते है |
➤विश्व में जल के कुल आयतन का 96.5% से 97% जल महासागरों में पाया जाता है ,और केवल 2.5% अलवणीय जल है |
➤भारत विश्व की दृष्टि का 4% हिस्सा प्राप्त करता है |
(i)भू-पृष्ठीय जल :- धरातल पर भू-पृष्ठीय जल का मूल स्रोत वर्षा है | वर्षा का लगभग 20 % भाग वाष्पित होकर वायुमंडल में चल जाता है | कुछ अंश भूमिगत हो जाते है | जबकि अधिकांश भाग नदी-नालों,झील-तालाबों इत्यादि में मिल जाते है ,शेष जल सागर एवं महासागर में मिल जाते है और ये सभी भ-पृष्ठ पर पाए जाने वाले जल भू-पृष्ठीय जल कहलाते है |
(ii)भूमिगत जल :- वर्षा जल के धरातलीय छिद्रों से रिस-रिस कर कठोर शैलिये आवरण पर जमा जल भूमिगत जल कहलाता है |
➤भू-पृष्ठीय या भूमिगत जल रिसकर बड़े मात्रा में भूगर्व में एकत्रित हो जाती है ,इस प्रक्रिया से एकत्रित जल भौम जल के नाम से जाना जाता है |
जल संसाधन का वितरण :-
➨विश्व के कुल अलवणीय जल का लगभग 75% अंटार्कटिका ,ग्रीनलैंड एवं पर्वतीय क्षेत्रो में बर्फ की चादर या हिमनद के रूप में है |
➨विश्व स्तर पर देखा जाये तो पता चलता है की अधिकांश जल दक्षिणी गोलार्द्ध में ही है,इसी कारण दक्षिणी गोलार्द्ध को 'जल गोलार्द्ध' और उत्तरी गोलार्द्ध को 'स्थल गोलार्द्ध' के नाम से जाना जाता है |
➨भारत में जल संसाधन का वितरण अपर्याप्त है | क्योंकि भारत में विश्व की लगभग 16% अबादी निवास करती है ,और इस अबादी के लिए विश्व का लगभग 4% स्वच्छ जल ही उपलब्ध है |
➨भारत में प्रतिवर्ष 4000 घन कि० मी० जल वर्षा से तथा 1869घन कि० मी० जल भू-पृष्ठीय जल से प्राप्त होते है |
जल संसाधन का उपयोग :-
➨जल का मानवीय जीवन में काफी उपयोग है |
➨जल का उपयोग निम्न है :-जैसे की पेयजल ,घरेलु कार्य ,उद्योग ,स्वछता ,सिंचाई ,जल-विधुत ,परमाणु-सयंत्र-शीतलन ,मतस्य पालन ,कृषि ,जल-क्रीड़ा आदि जैसे कार्यो ,में जल का उपयोग है |
➨प्राणियों में 65% तथा पौधों में 65-99% जल का अंश विधमान रहता है |
➨आबादी वृद्धि के साथ जल की सभी क्षेत्रो में मार्ग तीव्र गति से बढ़ी है
1951 में भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 5177 घन मीटर थी |
2001 में भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1829 घन मीटर थी |
2025 में भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 1342 घन मीटर हो जाएगी |
बहुउद्देशीय परियोजनाएँ
➨वैसा परियोजना जिससे उनके उद्देश्यों की पूर्ति होती है |
जैसे :- नदी घाटी परियोजना
इस नदी घाटी परियोजना के कई उद्देश्य है :-बाढ़ नियंत्रण ,मृदा-अपरदन पर रोक,विधुत उत्पादन ,उद्योगों के जलपूर्ति ,परिवहन ,कृषि ,मत्सय-पालन इत्यादि | इन अनेक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सक्षम इन नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय परियोजना के नाम से विभूषित किया जाता है |
भारत में अनेक नदी घाटी परियोजनाओं का विकास हुआ है |
➨भाखड़ा-नांगल,हीराकुंड ,दामोदर ,गोदावरी ,कृष्णा एवं सोन परियोजना जैसी अनेक परियोजनाएँ भारत के विकास में सहायक हो रहे है |
बहुउद्देशीय परियोजनाएँ से हानि :-
→बहुउद्देशीय परियोजना से निम्न हनिया भी है :-(i)नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट बहाव काम हो जाता है
(ii)इससे से भूमि का निम्नीकरण होता है |
(iii)भूकंप की संभावना बढ़ जाती है |
(iv)बांध से नदी की शाखाएँ बट जाती है ,जो जल में रहने वाले वनस्पति को स्थानांतरित करता है |
(v)किसी कारणवश बाँध टूटने पर बाढ़ आ जाना |
(vi)जल जनित बीमारियाँ
Note:-देश के बाँध को प० जवाहरलाल नेहरू ने "भारत का मंदिर"कहा था |
*नर्मदा बचाओं आंदोलन
⇒'नर्मदा बचाओं आंदोलन'एक गैर सरकारी संगठन है ,जो स्थानीय लोगो,किसानों,पर्यवरणविदो ,मानवधिकार कार्यकर्ताओं को गुजरात के नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के विरोध के लिए प्रेरित करता है |
नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध बनाने के विरोध में चलाया गया आंदोलन है |*जल संकट :-पृथ्वी पर आवश्यकता से कम जल की उपलब्धता को जल संकट कहते है |
या,स्वीडेन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन एक हजार घन मीटर जल की आवश्यकता है ,इससे कम जल उपलब्धता जल संकट है |
जल संकट के कारण :-
(i) जल की अधिक उपयोग
(ii)अनाज उगाने के लिए जल का अतिशोषण
(iii)बढ़ती जनसँख्या के कारण जल की माँग बढ़ रही है ,जिसके कारण जल की कमी हो रही है |
(iv)फैक्ट्रियों द्वारा निकलने वाले रसायन के कारण जल जहरीला होता जा रहा है ,जिसे हम नहीं प्रयोग कर सकते है |
➨बिहार एवं पश्चिम बंगाल के कुछ भागो में जल के अतिदोहन से संखिया(Arsenic) एवं राजस्थान एवं महाराष्ट्र में इससे फ्लोराइड के संकेन्द्रण में वृद्वि हुई है |
➨वर्तमान समय में भारत में कुल विधुत का लगभग 22 प्रतिशत भाग जल विधुत से प्राप्त होता है |
➨कानपुर में 180 चमड़े कारखाने है ,जो प्रतिदिन 58 लाख लीटर मल-जल गंगा में विसर्जित करती है |
➨गंगा के जल में बक्ट्रियोफेज नामक विषाणु होते है <जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते है |
जल संरक्षण एवं प्रबंधन :-
➨जल संरक्षण का अर्थ है,जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई ,निर्माण एवं कृषि आदि की लिए जल अवशिष्ट जल का पुनः चक्रण करना |
➨जल संकट निवारण हेतु सरकार ने 'सितम्बर 1987'में राष्ट्रीय जल निति को स्वीकृत किया | और कई समस्याओं के उभरने के कारण इसे संशोधित का 'राष्ट्रीय जल निति 2002'के रूप में प्रस्तुत किया गया |
*इसके अंतर्गत सर्कार ने जल संरक्षण हेतु निम्न सिद्धांतो को ध्यान में रखा :-
(a)जल की उपलब्धता को बनाये रखना
(b)जल को प्रदूषित होने से बचाना
(c)प्रदूषित जल को स्वच्छ कर उसका पुनचक्रण
जल संरक्षण की विधियाँ :-
(i)भूमिगत जल की पुनर्पुर्ति
(ii)जल संभर प्रबंधन
(iii)तकनीक विकास
(i)भूमिगत जल की पुनर्पुर्ति :-पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने 'जल मिशन'संदर्भ देकर भूमि जल पुनपूर्ति पर बल दिया था खेतो गावों ,शहरों ,उद्योगों को प्रयाप्त जल मिल सके | इसके लिए वृक्षारोपण ,जैविक तथा कम्पोस्ट खाद के प्रयोग ,वेटलैंड्स (Wetlands)का संरक्षण ,वर्षा जल के संचयन एवं मल-जल शोधन पुनः चक्रण जैसे क्रियाकलाप उपयोगी हो सकते है |
(ii)जल संभर प्रबंधन :-जल प्रवाह या जल जमाव का उपयोग कर उद्यान ,कृषि-वानिकी ,जल कृषि एवं कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है | इससे पेय जलापूर्ति भी की जा सकती है | इस प्रबंधन को छोटे इकाइयों पर लागु करने की आवश्यकता है |
(iii)तकनीक विकास :-तकनीक विकास से तात्पर्य है ऐसे उपक्रम जिसमे जल का कम से कम उपयोग कर अधिकाधिक लाभ लिया जा सके |
जैसे :-ड्रिप सिंचाई ,लिफ्ट सिंचाई ,सूक्ष्म फुहारों(micro sprinkler)से सिंचाई ,सीढ़ीनुमा खेती इत्यादि |
वर्षा-जल संग्रहण :-
⇒वर्षा का अधिकांश जल जमीन में प्रवेश नहीं कर पाता है और बेकार में वह जाता है | इस बर्बादी को वर्षा -जल संग्रहण के द्वारा रोका जा सकता है |वर्षा जल संग्रहण से जमा हुए जल को भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है |
➨छोटे पैमाने पर छत वर्षा जल संग्रहण भी कारगर साबित होता है |
➨राजस्थान में पेय जल का संचय भूमिगत टैंक में किया जाता है ,जिसे टांका कहा जाता है | यह प्रायः आँगन में हुआ करता है जिसमे छत पर संग्रहित जल को पाइप के द्वारा जोड़ दिया जाता है | और इस कार्य में राजस्थान की N.G.O. 'तरुण भारत संघ' पिछले कई वर्षो से कार्य कर रही है |
➨मेघालय स्थित चेरापूंजी एवं मॉसिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है | जँहा पेय जलसंकट का निवारण लगभग 25% छत जल संग्रहण से होता है |
➨पानी पंचयात योजना का गठन उड़िशा में हुआ था |
➨ बिहार के रोहतास जिले का एक नगर जो डालमियानगर सीमेंट उद्योग के लिए विख्यात है |
*अन्तर्राज्यीय जल -विवाद :-सम्पूर्ण भारत में लगभग बीस प्रमुख नदी बेसिन है और इनमे से कई बेसिन एक से अधिक राज्यों में विस्तृत है | इसके कारण जल के उपयोग और वितरण के सबंध में जो विवाद होता है उसे जल विवाद कहते है |
*नदी बेसिन :-मुख्य नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा कुल सिचित क्षेत्र |
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